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This Article is From Oct 10, 2022

Rama Ekadashi 2022: कार्तिक मास की रमा एकादशी कब है, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Rama Ekadashi 2022 Date: कार्तिक मास की एकादशी को रमा एकादशी कहते हैं. इस साल रमा एकादशी 21 अक्टूबर, 2022 को पड़ रही है.

Rama Ekadashi 2022: कार्तिक मास की रमा एकादशी कब है, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
Rama Ekadashi 2022 Date: रमा एकादशी का व्रत इस दिन रखा जाएगा.

Rama Ekadashi 2022 Date, Shubh Muhurat Puja Vidhi: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का खास महत्व है. कार्तिक मास की एकादशी को रमा एकादशी (Rama Ekadashi) कहते हैं. रमा एकादशी को रम्भा एकादशी या कार्तिकी एकादशी (Kartik Month Ekadashi) भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यतानुसार रमा एकादशी व्रत का महत्व स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा है. इस साल कार्तिक मास की रमा एकादशी (Rama Ekadashi 2022 Date) 21 अक्टूबर, 2022 शुक्रवार को पड़ रही है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास की रमा एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.आइए जानते हैं कि मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए कार्तिक मास की रमा एकादशी कब है, कार्तिक मास की रमा एकादशी के लिए शुभ मुहूर्त (Rama Ekadashi Shubh Muhurat) और पूजा विधि (Rama Ekadashi Puja Vidhi) क्या है.  

कब है रमा एकादशी 2022 | Rama Ekadashi 2022 Date Subh Muhurat

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल रमा एकादशी 21 अक्टूबर 2022, शुक्रवार को पड़ रही है. एकादशी तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 04 मिनट से हो रही है. वहीं रमा एकादशी तिथि की समाप्ति 21 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 22 मिनट पर हो रही है. ऐसे में उदया तिथि की मान्यता के अनुसार, रमा एकादशी का व्रत 21 अक्टूबर को रखा जाएगा. 

रमा एकादशी 2022 पारण  | Rama Ekadashi 2022 Parana Date

एकादशी व्रत को तोड़नी की विधि को पारण कहते हैं. एकादशी व्रत का पारण उसके अगले दिन सूर्यास्त के बाद किया जाता है. द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले एकादशी व्रत का पारण कर लेना अनिवार्य माना गया है. ऐसे में रमा एकादशी व्रत का पारण 22 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 26 मिनट से लेकर 8 बजकर 42 मिनट की बीच कर लेना अच्छा रहेगा. 

रमा एकादशी पूजा विधि | Rama Ekadashi Vrat Puja Vidhi

धार्मिक मान्यता के अनुसार, रमा एकादशी के दिन व्रत करना शुभ हेता है. ऐसे में अगर संभव हो तो इस दिन व्रत रखें. एकादशी व्रत का नियम दशमी तिथि से ही शुरू हो जाता है. दशमी तिथि के दिन व्रती सूर्योदय के पहले सात्विक भोजन ही करते हैं. 

रमा एकादशी व्रत के दिन व्रती अन्न ग्रहण नहीं करते हैं. मान्यता है कि एकादशी का व्रत पूरे दिन निराहार रहकर किया जाता है.

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उपवास के तोड़ने की विधि को पारण कहते हैं, जो द्वादशी के दिन होती है.

एकादशी व्रत के नियम के मुताबिक, जो लोग उपवास नहीं रखते हैं, वे लोग भी एकादशी के दिन चावल और उससे बने पदार्थ का सेवन नहीं करते. 

रमा एकादशी के दिन जल्दी उठकर स्नान किया जाता है. भक्त इस दिन भगवान विष्णु की  पूजा-अर्चना करते हैं. फल, फूल, धूप, दीप से विष्णु जी की पूजा की जाती है. 

इस दिन विष्णु जी को मुख्य रूप से तुलसी के पत्ते अर्पित किए जाते हैं. एकादशी व्रत में तुलसी का विशेष महत्त्व होता है, इससे सारे पाप माफ होते हैं.

भगवान विष्णु की पूजा के बाद आरती की जाती है. उसके बाद सबको प्रसाद वितरित करते हैं.

इस एकादशी में भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा-आराधना की जाती है. माना जाता है कि इससे जीवन में सुख समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशियां आती हैं.

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रमा एकादशी के दिन लोग घर में सुंदर कांड, भजन कीर्तन करवाते है. इस दिन भगवत गीता को पढ़ना शुभ माना जाता  है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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