Puja Ke Niyam: प्रत्येक व्यक्ति अपने ईष्ट (Ishta) की उपासना करता है, लेकिन हर किसी की उपासना की विधि (Method of Worship) अलग-अलग होती है. कहा जाता है कि शुद्ध हृदय से की गई भगवान की उपासना (Worship of God) व्यर्थ नहीं जाती है. इसके अलावा पूजा में कुछ नियमों का भी पालन करना अनिवार्य माना गया है. मान्यता है कि विधि पूर्वक पूजा करने से उसका सकारात्मक फल मिलता है. आइए जानते हैं पूजा-पाठ के नियम (Rules of Worship) के बारे में.
पूजा-पाठ के नियम (Puja Path ke Niyam)
-किसी भी भगवान की पूजा से पहले स्नान किया जाता है. इसके बाद शांत मन से पूजा स्थान पर किसी आसन पर बैठा जाता है. वैसे कुश या कंबल का आसन शुद्ध माना गया है. पूजा शुरू करने से पहले पूजा स्थल को साफ किया जाता है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार, पांच तत्वों की मौजूदगी आवश्यक है. इन पांच तत्वों में अग्नि, आकाश, जल, वायु और पृथ्वी शामिल हैं. इनमें से तीन तत्व- आकाश, वायु और पृथ्वी पहले से ही उपस्थित रहते हैं. सिर्फ अग्नि तत्व और जल तत्व की जरुरत पड़ती है. ऐसे में सबसे पहले जल को किसी शुद्ध पात्र में रखा जाता है और अग्नि तत्व के लिए दीया जलाया जाता है.
-पूजा शुरू करते वक्त सबसे पहले भगवान गणेश को प्रणाम किया जाता है, क्योंकि किसी भी पूजा को शुरू करने से पहले प्रथम पूज्य गणेश की पूजा की जाती है.
-जिस अगरबत्ती में बांस की डंडी का इस्तेमाल किया गया हो, उसे पूजा में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि पूजा में बांस का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसकी जगह धूपबत्ती का इस्तेमाल किया जा सकता है.
-पूजा स्थान पर शंख होना शुभ माना गया है. अगर आप पूजा के बाद शंख बजाते हैं तो यह अध्यात्म और सेहत की दृष्टि से भी लाभदायक बताया गया है. पूजा के बाद घंटी बजानी चाहिए.
-पूर्णिमा या अमावस्या के दिन हवन करना अच्छा माना जाता है. ऐसे में इसका ध्यान रखना चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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