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अब तक तय नहीं हुई है शादी तो प्रदोष व्रत पर करें ये उपाय, मान्यतानुसार भगवान शिव की कृपा से घर पर बजेगी शहनाई

Shani Pradosh Vrat: इस साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत शनि प्रदोष व्रत होने वाला है. जानिए विवाह में आ रही मुश्किलों को दूर करने के लिए कौनसे उपाय किए जा सकते हैं.

अब तक तय नहीं हुई है शादी तो प्रदोष व्रत पर करें ये उपाय, मान्यतानुसार भगवान शिव की कृपा से घर पर बजेगी शहनाई
Pradosh Vrat Puja: इस तरह भोलेनाथ को किया जा सकता है प्रसन्न.

Pradosh Vrat 2024: भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है. हर माह की त्रयोदशी तिथि भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है और इस दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखकर विधि-विधान से भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती की पूजा करने से विवाह के संयोग बनते हैं, संतान सुख की प्राप्ति होती है और जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है. इस साल भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष में प्रदोष व्रत 31 अगस्त, शनिवार के दिन है. यह शनि प्रदोष व्रत है और इस दिन कुछ खास उपाय करने से विवाह में आ रही बाधा भी दूर हो सकती है. यहां जानिए प्रदोष व्रत पर कौनसे उपाय करने पर विवाह के योग बन सकते हैं.

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विवाह के लिए प्रदोष व्रत के उपाय | Pradosh Vrat Upay For Marriage

भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) है. विवाह में बाधा दूर करने के लिए प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान 108 बेलपत्र पर चंदन से श्री राम लिखकर महादेव को चढ़ाना चाहिए. इससे जल्द विवाह के योग बनते हैं. मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के बाद शिव चालीसा का पाठ करने से महादेव अति प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से विवाह में आ रही बाधाएं समेत जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है.

शिव चालीसा

दोहा

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥

चौपाई

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥

कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

जय जय जय अनन्त अविनाशी।करत कृपा सब के घटवासी॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।येहि अवसर मोहि आन उबारो॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।संकट ते मोहि आन उबारो॥

मात-पिता भ्राता सब होई।संकट में पूछत नहिं कोई॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी।आय हरहु मम संकट भारी॥

नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे।ध्यान पूर्वक होम करावे॥

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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