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प्रदोष व्रत में देवी पार्वती की इस तरीके से करें पूजा, वैवाहिक जीवन में बनी रहेगी सुख-शांति और बिगड़े काम जाएंगे बन

Devi Parvati puja vidhi on Pradosh vrat : अगर आप प्रदोष व्रत को सही विधि-विधान के साथ करते हैं, तो आपको इसका दोगुना फल प्राप्त होगा और जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी.

प्रदोष व्रत में देवी पार्वती की इस तरीके से करें पूजा, वैवाहिक जीवन में बनी रहेगी सुख-शांति और बिगड़े काम जाएंगे बन
Devi Parvati doha : कूट चन्द्रिका सुभग शिर जयति सुख खानी, पार्वती निज भक्त हित रहहु सदा वरदानी।

Pradosh vrat 2024 : हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता, जो प्रत्येक माह के त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. इस साल मार्गशीर्ष महीने का आखिरी प्रदोष व्रत 13 दिसंबर को है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाए तो वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और जीवनसाथी के साथ संबंध प्रगाढ़ होते हैं. साथ ही बिगड़े काम भी बन जाते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं प्रदोष व्रत के दिन देवी पार्वती की पूजा की विधि. 

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प्रदोष व्रत में कैसे करें देवी पार्वती की पूजा - How to do devi Parvati puja on pradosh vrat

  • आपको बता दें कि प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं. 
  • निमित क्रिया के बाद स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. 
  • फिर सूर्योदय के बाद व्रत का संकल्प लीजिए. 
  • संकल्प लेते समय 'ओं नम: शिवाय' का जाप करें.
  • प्रदोष व्रत में उपवास रखा जाता है. ऐसे में दिनभर केवल फलाहार का सेवन करें.
  • रात को पूजा के समय भोजन करना होता है इसलिए किसी तरह की भूल-चूक न हो इस बात का खास ख्याल रखें. 
  • प्रदोष व्रत के दिन सूर्यास्त के बाद सबसे पहले देवी पार्वती की मूर्ति या तस्वीर का पूजन करें. 
  • पूजा स्थल पर दीपक जलाकर देवी पार्वती का स्वागत करिए. फिर देवी मां को धूप, दीप और अक्षत अर्पित चढ़ाएं. 
  • देवी पार्वती की पूजा करते समय निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:

"ॐ श्री महादेवायै नमः"
"ॐ श्री पार्वती देवयै नमः"

  • पूजा के अंत में देवी पार्वती की आरती गाएं-

ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता॥
जय पार्वती माता

अरिकुल पद्म विनाशिनि जय सेवक त्राता।
जग जीवन जगदंबा, हरिहर गुण गाता॥
जय पार्वती माता

सिंह को वाहन साजे, कुण्डल हैं साथा।
देव वधू जस गावत, नृत्य करत ताथा॥
जय पार्वती माता

सतयुग रूपशील अतिसुन्दर, नाम सती कहलाता।
हेमांचल घर जन्मी, सखियन संग राता॥
जय पार्वती माता

शुम्भ-निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्थाता।
सहस्त्र भुजा तनु धरि के, चक्र लियो हाथा॥
जय पार्वती माता

सृष्टि रूप तुही है जननी शिवसंग रंगराता।
नन्दी भृंगी बीन लही सारा जग मदमाता॥
जय पार्वती माता

देवन अरज करत हम चित को लाता।
गावत दे दे ताली, मन में रंगराता॥
जय पार्वती माता

श्री प्रताप आरती मैया की, जो कोई गाता।
सदासुखी नित रहता सुख सम्पत्ति पाता॥
जय पार्वती माता

देवी पार्वती दोहा

कूट चन्द्रिका सुभग शिर जयति सुख खानी, पार्वती निज भक्त हित रहहु सदा वरदानी।

जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि, गणपति जननी पार्वती, अम्बे, शक्ति, भवानि।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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