फाइल फोटो
नासिक:
महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने त्र्यंबकेश्वर मंदिर की ओर बढ़ने का आज ताजा प्रयास किया लेकिन पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर उनकी कोशिश नाकाम कर दी । वहीं, पूजा स्थलों पर लैंगिक भेदभाव खत्म करने के लिए अभियान का नेतृत्व कर रहीं तृप्ति देसाई ने आंदोलन तेज करने की धमकी दी।
भूमाता ब्रिगेड प्रमुख देसाई भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिर के गर्भगृह में महिला श्रद्धालुओं के प्रवेश की मांग करते हुए प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही थीं। वह और करीब 150 कार्यकर्ता कल त्र्यंबकेश्वर महादेव जाने के लिए पुणे से रवाना हुई थीं। ये कार्यकर्ता मंदिर में गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश पर रोक की परंपरा तोड़ना चाहती थीं। यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में एक है।
इन कार्यकर्ताओं को हालांकि पुलिस ने मंदिर से करीब 80 किलोमीटर दूर नंदुरशिंघोते गांव में हिरासत में ले लिया। कल देर रात करीब दो बजे इन सभी को पुणे लौटने की इजाजत दी गई थी लेकिन ये तीन घंटे बाद ही मौके पर फिर से लौट आयीं और त्र्यंबकेश्वर की ओर बढ़ने का ताजा प्रयास किया।
वावी पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि यद्यपि वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने इन सभी को रोका। उन्होंने कहा कि देसाई के साथ आज कुछ कार्यकर्ता थीं। पुलिस ने उन सभी को आज दोपहर दो बजे तक रोके रखा और उसके बाद पुणे लौटने की इजाजत दे दी। देसाई महाराष्ट्र में कुछ धार्मिक स्थालों पर लैंगिक भेदभाव समाप्त करने के आंदोलन का नेतृत्व कर रही हैं।
भूमाता ब्रिगेड प्रमुख देसाई भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिर के गर्भगृह में महिला श्रद्धालुओं के प्रवेश की मांग करते हुए प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही थीं। वह और करीब 150 कार्यकर्ता कल त्र्यंबकेश्वर महादेव जाने के लिए पुणे से रवाना हुई थीं। ये कार्यकर्ता मंदिर में गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश पर रोक की परंपरा तोड़ना चाहती थीं। यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में एक है।
इन कार्यकर्ताओं को हालांकि पुलिस ने मंदिर से करीब 80 किलोमीटर दूर नंदुरशिंघोते गांव में हिरासत में ले लिया। कल देर रात करीब दो बजे इन सभी को पुणे लौटने की इजाजत दी गई थी लेकिन ये तीन घंटे बाद ही मौके पर फिर से लौट आयीं और त्र्यंबकेश्वर की ओर बढ़ने का ताजा प्रयास किया।
वावी पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि यद्यपि वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने इन सभी को रोका। उन्होंने कहा कि देसाई के साथ आज कुछ कार्यकर्ता थीं। पुलिस ने उन सभी को आज दोपहर दो बजे तक रोके रखा और उसके बाद पुणे लौटने की इजाजत दे दी। देसाई महाराष्ट्र में कुछ धार्मिक स्थालों पर लैंगिक भेदभाव समाप्त करने के आंदोलन का नेतृत्व कर रही हैं।
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