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This Article is From Jan 16, 2017

‘मट्टू पोंगल’ मौके पर नहीं हो पाई ‘सांढ़ों की लड़ाई जल्लीकट्टू’ का आयोजन, कोशिशें नाकाम

‘मट्टू पोंगल’ मौके पर नहीं हो पाई ‘सांढ़ों की लड़ाई जल्लीकट्टू’ का आयोजन, कोशिशें नाकाम
‘पोंगल’ के तहत तीसरा दिन ‘मट्टू पोंगल’ पशु के लिए मनाया जाता है. (फाइल फोटो)
मदुरै: तमिलनाडु के चार दिवसीय पर्व पोंगल के मौके पर राज्य की पुलिस ने मुस्तैदी दिखाते हुए दक्षिणी जिले में जल्लीकट्टू के आयोजन की कोशिशें आज नाकाम करते हुए कई लोगों को हिरासत में ले लिया. वहीं, राज्य में पूरे उत्साह के साथ ‘मट्टू पोंगल’ मनाया गया.

तमिल में ‘मट्टू’ का अर्थ सांढ़ होता है और चार दिनों तक चलने वाले फसल कटाई के उत्सव ‘पोंगल’ के तहत तीसरा दिन ‘मट्टू पोंगल’ इस पशु के लिए मनाया जाता है.

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सांढ़ों की लड़ाई पर प्रतिबंध के खिलाफ प्रदर्शन के बीच पुलिस ने इस खेल पर उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ आज कार्रवाई की चेतावनी दी. मदुरै जिला पुलिस अधीक्षक विजेंदर एस बिदारी ने इन खबरों का खंडन किया कि जिले में जल्लीकट्टू का आयोजन किया गया है.

उन्होंने बताया, ‘‘करीब 2,000 पुलिसकर्मी समूचे जिले में निगरानी कर रहे हैं. हमने इलाके में सुरक्षा मुहैया करने के लिए कदम उठाए हैं.’’ उन्होंने बताया कि किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए जिले में पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है.

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उन्होंने कहा, ‘‘हर किसी को उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करना चाहिए. हर किसी को इससे वाकिफ होना चाहिए कि हम कानून के मुताबिक कार्रवाई करेंगे. लोगों को सहयोग करना चाहिए.’’ उन्होंने इस बात का जिक्र भी किया कि यह खेल आमतौर पर ‘कनुम पोंगल’ पर अलंगनाल्लूर में होता है, जो पोंगल उत्सव का चौथा और आखिरी दिन होता है.

कुछ स्थानीय लोगों ने दावा किया था कि शिवगंगा जिले के सिंगमपुनारी में सैकड़ों लोग ‘मंजूविराट्टू’ (इस कार्यक्रम में सांढ़ों का इस्तेमाल होता है) के लिए एकत्र हुए थे. उन लोगों को संक्षिप्त अवधि के लिए हिरासत में ले लिया गया.

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पुलिस ने बताया कि पुडुकोट्टई जिले के अलनगुडी में जल्लीकट्टू के आयोजन की कोशिश कर रही भीड़ को खदेड़ा और श्री तादीकोंडा स्वामी मंदिर में भी इसके आयोजन की कोशिश नाकाम कर दी. इस बीच लोगों ने मट्टू पोंगल के अवसर पर सांढ़ों और गायों की पूजा की. पोंगल उत्सव के तीसरे दिन लोग इन पशुओं और कृषि से जुड़े अन्य पशुओं की पूजा करते हैं.

दरअसल, गायों और बैलों तथा सांढ़ों को उनके मालिक नहलाते है. कुछ की सींगें रंगी जाती हैं और उन्हें सजाया जाता है. उनके गले में घंटियां बांधी जाती हैं और फूलों की माला पहनाई जाती है.

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