
पीएम मोदी भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने पूजा अर्चना की.
बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दूसरे दिन की बैठक से पहले पीएम नरेंद्र मोदी भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने पूजा अर्चना की. ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर को मंदिरों का शहर कहा जाता है और यहां के मंदिरों में सबसे बड़ा है लिंगराज महादेव मंदिर. मंदिर में भगवान शिव के साथ श्रीहरि यानि भगवान विष्णु भी विराजमान हैं और यहां हरि-हर की पूजा साथ की जाती है.
क्या है मंदिर से जुड़ी मान्यता
लगभग हजार साल पुराने इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि लिट्टी और वसा नाम दो भयंकर राक्षसों का वध देवी पार्वती ने यहीं पर किया था. लड़ाई के बाद जब उन्हें प्यास लगी तो भगवान शिव ने कुआं बना कर सभी नदियों का आह्वान किया. यहीं पर बिन्दूसागर सरोवर है तथा उसके निकट ही लिंगराज का विशालकाय मन्दिर है.

सोमवंशी राजा ने कराया था मंदिर का निर्माण
माना जाता है कि 11वीं सदी में सोमवंशी राजा ययाति केसरी ने मंदिर का निर्माण करवाया था. 180 फुट के शिखर वाले मंदिर का प्रांगण 150 मीटर वर्गाकार का है और कलश की ऊंचाई 40 मीटर है. मंदिर के प्रांगण में 64 छोटे-छोटे मंदिर हैं, जिनकी संख्या पहले 108 थी.
यहां आनेवाले हर भक्त की इच्छा होती है पूरी
इस मंदिर में एक साथ बसते श्रीहरि यानि भगवान विष्णु और हर यानि भगवान शिव एक साथ बसते हैं और उनकी पूजा साथ-साथ की जाती है. ऐसी मान्यता हैं कि यहां आनेवाले हर भक्त की इच्धा पूरी होती है.

भुवनेश्वर के अन्य प्रसिद्ध मंदिर
यहां से पूरब की ओर ब्रह्मेश्वर, भास्करेश्वर समुदाय के मन्दिर हैं. इसके पास ही मन्दिरों का सिद्धारण्य क्षेत्र है, जिसमें मुक्तेश्वर, केदारेश्वर, सिद्धेश्वर तथा परशुरामेश्वर मन्दिर सबसे प्राचीन माना जाता है. भुवनेश्वर के प्राचीन मन्दिरों के समूह में चामुण्डादेवी और महिषमर्दिनी देवी दुर्गा की प्राचीन प्रतिमाओं वाले बैतालमन्दिर का विशेष स्थान है. इसके साथ ही सूर्य उपासना स्थल है, जहां सूर्य-रथ के साथ उषा, अरुण और संध्या की प्रतिमाएं हैं.
क्या है मंदिर से जुड़ी मान्यता
लगभग हजार साल पुराने इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि लिट्टी और वसा नाम दो भयंकर राक्षसों का वध देवी पार्वती ने यहीं पर किया था. लड़ाई के बाद जब उन्हें प्यास लगी तो भगवान शिव ने कुआं बना कर सभी नदियों का आह्वान किया. यहीं पर बिन्दूसागर सरोवर है तथा उसके निकट ही लिंगराज का विशालकाय मन्दिर है.

सोमवंशी राजा ने कराया था मंदिर का निर्माण
माना जाता है कि 11वीं सदी में सोमवंशी राजा ययाति केसरी ने मंदिर का निर्माण करवाया था. 180 फुट के शिखर वाले मंदिर का प्रांगण 150 मीटर वर्गाकार का है और कलश की ऊंचाई 40 मीटर है. मंदिर के प्रांगण में 64 छोटे-छोटे मंदिर हैं, जिनकी संख्या पहले 108 थी.
यहां आनेवाले हर भक्त की इच्छा होती है पूरी
इस मंदिर में एक साथ बसते श्रीहरि यानि भगवान विष्णु और हर यानि भगवान शिव एक साथ बसते हैं और उनकी पूजा साथ-साथ की जाती है. ऐसी मान्यता हैं कि यहां आनेवाले हर भक्त की इच्धा पूरी होती है.

भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर में पीएम नरेंद्र मोदी.
भुवनेश्वर के अन्य प्रसिद्ध मंदिर
यहां से पूरब की ओर ब्रह्मेश्वर, भास्करेश्वर समुदाय के मन्दिर हैं. इसके पास ही मन्दिरों का सिद्धारण्य क्षेत्र है, जिसमें मुक्तेश्वर, केदारेश्वर, सिद्धेश्वर तथा परशुरामेश्वर मन्दिर सबसे प्राचीन माना जाता है. भुवनेश्वर के प्राचीन मन्दिरों के समूह में चामुण्डादेवी और महिषमर्दिनी देवी दुर्गा की प्राचीन प्रतिमाओं वाले बैतालमन्दिर का विशेष स्थान है. इसके साथ ही सूर्य उपासना स्थल है, जहां सूर्य-रथ के साथ उषा, अरुण और संध्या की प्रतिमाएं हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
Narendra Modi, Lingraj Temple, Lingraj Mandir, Bhubaneswar, Lingraj Temple Bhubaneswar, Lingraj Temple Odisha, लिंगराज महादेव, नरेंद्र मोदी, लिंगराज महादेव भुवनेश्वर, लिंगराज महादेव ओडिशा