Tulsi: सनातन धर्म में तुलसी के पत्तों को बेहद पवित्र माना गया है. यही वजह है कि जब कभी भी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है तो उसमें तुलसी की पत्तियां अनिवार्य रूप से इस्तेमाल की जाती है. मान्यता है कि तुलसी के भगवान विष्णु का खास संबंध हैं. हालांकि शास्त्रों को तुलसी की पत्तियों को तोड़ने से जुड़े खास नियम हैं. नियम के मुताबिक तोड़ी गई तुलसी की पत्तियां भगवान को स्वीकार होती है. शास्त्रों में कहा गया है कि एकादशी तिथि और रविवार के दिन तुलसी की पत्तियों को तोड़ने से परहेज करना चाहिए. आइए जानते हैं कि तुलसी की पत्तियों को तोड़ने से जुड़े नियम क्या हैं.
तुलसी की पत्तियों को तोड़न के ये हैं खास नियम
- हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, तुलसी बेहद पवित्र और पूजनीय होती है. यही वजह है कि इस हाथ लगाने और इसकी पत्तियों को तोड़ने से जुड़े खास नियम का पालन अनिवार्य रूप से किया जाता है.
- आमतौर पर अलग तुलसी की पत्तियों को बहुत जरुरत है तो पहले गमले में मौजूद टूटे हुए पत्तों को उठाकर उसका इस्तेमाल धोकर करें. वहीं अलग इसके अलावा भी तुलसी की पत्तियों की आवश्यकता है तो पौधे से पत्तियां तोड़ सकते हैं, लेकिन इस दौरान इस बात का ध्यान रखें कि आपका नाखून पत्तों को तोड़ते वक्त उसमें ना लगे. आप चाहें तो उंगलियों का इस्तेमाल करके तुलसी की पत्तियां तोड़ सकते हैं. नाखून का स्पर्श करके तुलसी की पत्तियों को तोड़ना अशुभ माना गया है.
- धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक तुलसी की पत्तियों को हमेशा रोशनी में ही तोड़ना चाहिए. सूर्यास्त के बाद तुलसी के पत्तों को तोड़ना अशुभ और नियम विरुद्ध माना जाता है. ऐसे में
माना जाता है कि तुलसी राधा-रानी की स्वरूप हैं. देवी तुलसी शाम के समय श्रकृष्ण के साथ रास रचाने के लिए निकलती हैं. ऐसे में शाम के समय तुलसी की पत्तियों को तोड़ने से परहेज करना चाहिए. इसके अलावा ग्रहण के दौरान भी तुलसी की पत्तियां नहीं तोड़नी चाहिए.
- पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक तुलसी की पत्तियां तोड़न से पहले हाथ को जल से साफ करना चाहिए. इसके बाद ही तुलसी की पत्तियां तोड़नी चाहिए. इसके अलावा टूटे हुई तुलसी की पत्तियों को हमेशा साफ हाथों से ही उठना चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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