हिंदू धर्म में पौष सूर्य देव का माह कहलाता है. पौष मास की पूर्णिमा को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है, इसलिये इस मास को पौष का मास कहा जाता है. बता दें कि वर्ष 2022 की पहली पूर्णिमा 17 जनवरी को पड़ रही है. पौष मास में सूर्य पूजन के साथ-साथ तीर्थ स्नान और दान करने की भी परंपरा है. पुराणों में बताया गया है कि सूर्य पूजा करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है. कहते हैं कि इस माह में सूर्य देव की पूजा (Surya Dev Puja) करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि पौष पूर्णिमा पर्व पर उगते सूरज को अर्घ्य देने से बीमारियां दूर होती हैं और उम्र लंबी होती है.
पौष पूर्णिमा तिथि | Paush Purnima Tithi
- पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि शुरू- 17 जनवरी को सुबह 03:18 पर.
- पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि समाप्त- 18 जनवरी को सुबह 05:17 पर.
पौष पूर्णिमा व्रत मुहूर्त | Paush Purnima Vrat Muhurta
- पूर्णिमा व्रत मुहूर्त की शुरुआत- दोपहर 12:20 से होगी.
- पूर्णिमा व्रत मुहूर्त समाप्त- दोपहर 12:52 तक.
पौष पूर्णिमा पर सूर्य की पूजा | Surya Dev On Paush Purnima
- सूर्य की पूजा करने के लिए प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें.
- स्नान के बाद तांबे के लोटे में शुद्ध जल लेकर उसमें रोली, अक्षत, लाल पुष्प और गुड़ मिलाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके खड़े हो जाएं.
- इसके बाद दोनों हाथों को ऊपर उठाकर सूर्यदेव को श्रद्धापूर्वक सूर्य मंत्र 'ओम घृणि सूर्याय नम: श्री सूर्य नारायणाय अर्घ्यं समर्पयामि' मंत्र के साथ अर्घ्य देकर जल अर्पित करें.
- सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात्प लाल आसन में बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके सूर्य के मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें.
- जरुरतमंद व्यक्ति या फिर ब्राह्मणों को भोजन और दान-दक्षिणा दें.
- दान में तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्र दे सकते हैं.
- चंद्रोदय के समय चंद्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर 'ओम स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमासे नम:' अथवा 'ओम ऐं क्लीं सोमाय नम:' मन्त्र का जप करते हुए अर्ध्य देना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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