प्रतीकात्मक चित्र
रायपुर:
छत्तीसगढ़ की राजधानी में 'श्रीधाम' या 'सुमेरु मठ या औघड़नाथ दरबार' ऐसा दरबार है, जहां पिछले कई वर्षो से दिन-रात भूखों के भोजन की व्यवस्था की जा रही है। इस दरबार की महत्ता यहां स्थापित पारे (मरक्युरी - Mercury) से निर्मित 'रसेश्वर महादेव' से है।
यहां सावन माह के साथ-साथ हर त्योहार में महादेव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। यह आसपास के क्षेत्रों में यह अकेला पारद शिवलिंग मंदिर है।
यहां 14 सालों से प्रज्ज्वलित है अखंड धुनी...
यहां बाबा औघड़नाथ की गद्दी लगी हुई है। विगत 14 सालों से यहां अखंड धुनी प्रज्ज्वलित है, जिसमें नियमित रूप से अग्निहोत्र संपन्न होता है। यहां की संचालन व्यवस्था बाबा औघड़नाथ के शिष्य बाबा प्रचंड वेगनाथ संभाले हुए हैं।
सुमेरु मठ का जो गुंबद है, वह श्रीयंत्र गुंबद है। बाबा औघड़नाथ के द्वारा जिस तरह श्रीयंत्र की स्थापना की जा रही है, वह संपूर्ण विश्व में अद्वितीय होगा। यहां की बहुत बड़ी विशेषता है कि यहां का सेवा कार्य, आरती, पूजा, भोग, अग्निहोत्र एक स्त्री जाति के द्वारा होता है, जो कि बाबा औघड़नाथ जी की ही शिष्या हैं। इन्हें 'मां' जी के संबोधन से पुकारा जाता है।
निराश्रित जीव-जंतुओं को भी मिलता है भोजन...
यहां मनुष्य और जीव जंतुओं में भेदभाव नहीं किया जाता। जीव जंतुओं को संरक्षण प्रदान किया जाता है। गाय, कुत्ते, नंदी आदि जीवों का संरक्षण करने के साथ ही साथ इन्हें निरंतर भोजन कराया जाता है।
यहां प्रतिदिन निरंतर भंडारा चल रहा है, जिसमें कि निराश्रित जीव-जंतुओं को भंडारा कराया जाता है। प्रतिमाह समय-समय पर खिचड़ी का 'नाथ प्रसाद' रात्रिकालीन भंडारा होता है, जिसमें घूम-घूम कर निराश्रित व्यक्ति, गाय, कुत्ता, नंदी, सूअर आदि को खिचड़ी का प्रसाद वितरित किया जाता है।
यहां होता है रात्रिकाल में भंडारा...
इसमें शहर भर में घूम-घूम कर भंडारा किया जाता है। साथ ही शहर के बाहर भी वितरण किया जाता है। दिन के समय भूखे मनुष्य हो या जीव-जंतु अपने भोजन की आपूर्ति कर सकते हैं|
लेकिन रात्रिकाल में भूखे जीवों की भोजन की तलाश पूर्ण नहीं होती है। ऐसे में रात्रिकालीन यह नाथ प्रसाद भंडारा उन समस्त भूखे जीवों को तृप्त कर देता है।
क्यों होती है पारद शिवलिंग की पूजा
श्रीधाम, सुमेरु मठ, औघड़नाथ दरबार में पारद शिवलिंग स्थापित है। जैसा कि हम जानते हैं कि शिवलिंग विभिन्न धातुओं से बनाए जाते हैं, जिसमें चांदी, पत्थर आदि सम्मिलित हैं। परंतु समस्त शिवलिंगों में पारद शिवलिंग अर्थात पारा से निर्मित शिवलिंग को सर्वश्रेष्ठ शिवलिंग माना गया है।
अनेक लोगों का मानना है कि यह एक सिद्धपीठ है और बहुत से दीनदुखी और जरूरतमंद अपनी प्रार्थनाएं करते हैं और उन्हें फायदा होता है। यहां बाबा प्रचंड वेगनाथ के द्वारा ध्यान, योग, आयुर्वेद, आध्यात्म व सनातन संस्कृति की शिक्षा प्रदान की जाती है।
यहां सावन माह के साथ-साथ हर त्योहार में महादेव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। यह आसपास के क्षेत्रों में यह अकेला पारद शिवलिंग मंदिर है।
यहां 14 सालों से प्रज्ज्वलित है अखंड धुनी...
यहां बाबा औघड़नाथ की गद्दी लगी हुई है। विगत 14 सालों से यहां अखंड धुनी प्रज्ज्वलित है, जिसमें नियमित रूप से अग्निहोत्र संपन्न होता है। यहां की संचालन व्यवस्था बाबा औघड़नाथ के शिष्य बाबा प्रचंड वेगनाथ संभाले हुए हैं।
सुमेरु मठ का जो गुंबद है, वह श्रीयंत्र गुंबद है। बाबा औघड़नाथ के द्वारा जिस तरह श्रीयंत्र की स्थापना की जा रही है, वह संपूर्ण विश्व में अद्वितीय होगा। यहां की बहुत बड़ी विशेषता है कि यहां का सेवा कार्य, आरती, पूजा, भोग, अग्निहोत्र एक स्त्री जाति के द्वारा होता है, जो कि बाबा औघड़नाथ जी की ही शिष्या हैं। इन्हें 'मां' जी के संबोधन से पुकारा जाता है।
निराश्रित जीव-जंतुओं को भी मिलता है भोजन...
यहां मनुष्य और जीव जंतुओं में भेदभाव नहीं किया जाता। जीव जंतुओं को संरक्षण प्रदान किया जाता है। गाय, कुत्ते, नंदी आदि जीवों का संरक्षण करने के साथ ही साथ इन्हें निरंतर भोजन कराया जाता है।
यहां प्रतिदिन निरंतर भंडारा चल रहा है, जिसमें कि निराश्रित जीव-जंतुओं को भंडारा कराया जाता है। प्रतिमाह समय-समय पर खिचड़ी का 'नाथ प्रसाद' रात्रिकालीन भंडारा होता है, जिसमें घूम-घूम कर निराश्रित व्यक्ति, गाय, कुत्ता, नंदी, सूअर आदि को खिचड़ी का प्रसाद वितरित किया जाता है।
यहां होता है रात्रिकाल में भंडारा...
इसमें शहर भर में घूम-घूम कर भंडारा किया जाता है। साथ ही शहर के बाहर भी वितरण किया जाता है। दिन के समय भूखे मनुष्य हो या जीव-जंतु अपने भोजन की आपूर्ति कर सकते हैं|
लेकिन रात्रिकाल में भूखे जीवों की भोजन की तलाश पूर्ण नहीं होती है। ऐसे में रात्रिकालीन यह नाथ प्रसाद भंडारा उन समस्त भूखे जीवों को तृप्त कर देता है।
क्यों होती है पारद शिवलिंग की पूजा
श्रीधाम, सुमेरु मठ, औघड़नाथ दरबार में पारद शिवलिंग स्थापित है। जैसा कि हम जानते हैं कि शिवलिंग विभिन्न धातुओं से बनाए जाते हैं, जिसमें चांदी, पत्थर आदि सम्मिलित हैं। परंतु समस्त शिवलिंगों में पारद शिवलिंग अर्थात पारा से निर्मित शिवलिंग को सर्वश्रेष्ठ शिवलिंग माना गया है।
अनेक लोगों का मानना है कि यह एक सिद्धपीठ है और बहुत से दीनदुखी और जरूरतमंद अपनी प्रार्थनाएं करते हैं और उन्हें फायदा होता है। यहां बाबा प्रचंड वेगनाथ के द्वारा ध्यान, योग, आयुर्वेद, आध्यात्म व सनातन संस्कृति की शिक्षा प्रदान की जाती है।
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