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This Article is From Jun 02, 2020

Nirjala Ekadashi 2020: निर्जला एकदाशी क्यों मनाई जाती है? जानिए इसकी व्रत कथा

Nirjala Ekadashi 2020: निर्जला एकादशी का व्रत अत्‍यंत कठिन होता है. इस दिन जल तक नहीं ग्रहण किया जाता है.

Nirjala Ekadashi 2020: निर्जला एकदाशी क्यों मनाई जाती है? जानिए इसकी व्रत कथा
Nirjala Ekadashi 2020: निर्जला एकादशी के दिन श्री हरि विष्‍णु की पूजा का विधान है.
नई दिल्ली:

निर्जला एकादशी: देशभर में आज निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2020) मनाई जा रही है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. निर्जला एकादशी ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है. निर्जला एकादशी तिथि (Nirjala Ekadashi) को साल में आने वाली बाकी सभी एकादशियों से अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. निर्जला एकादशी का व्रत रखना भी काफी कठिन होता है क्योंकि इस व्रत में अन्न या जल का ग्रहण नहीं किया जाता है. मान्यता है कि जो लोग साल की 24 एकादशी का व्रत नहीं रख सकते, यदि वो केवल निर्जला एकादशी का ही व्रत रखलें तो उन्हें साल की 24 एकादशी के व्रत का फल प्राप्त होता है. 

निर्जला एकादशी की व्रत कथा (Nirjala Ekadashi Vrat Katha)
पौराणिक कथा के मुताबिक, एक बार वेदों के रचयिता वेदव्यास, पांडवों के गृह कुशलक्षेम पधारे थे. तब महाबली भीम द्वारा उनका खूब आदर-सत्कार किया गया था. हालांकि, वेदव्यास ने अपने तपोबल से भीम की मनोस्थिति जान ली. उस वक्त वेदव्यास ने महाबली से पूछा कि तुम्हारे मन में किस तरह के विचार उमड़ रहे हैं? तुम इतने चिंतित क्यों प्रतीत हो रहे हो?

वेदव्यास के सवाल करने के बाद महाबली भीम ने अपनी मनोदशा उन्हें सुनाई. महाबली ने कहा, "हे पितामाह आप तो सर्वज्ञानी हैं, आप यह जानते हैं कि घर में सभी एकादशी का व्रत करते हैं लेकिन मैं यह व्रत नहीं रख पाता हूं, क्योंकि मैं भूखा नहीं रह सकता. मुझे कोई ऐसी व्रत विधि बताएं, जिसे करने से मुझे भी एकादशियों के समतुल्य फल की प्राप्‍ति हो." उस समय वेदव्यास ने उन्हें कहा कि तुम्हें चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है. 

वेदव्यास ने कहा, "तुम ज्येष्ठ महीने में शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी का व्रत ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करते हुए करो. इस व्रत को करने से तुम्हें अन्य एकादशियों के समतुल्य पुण्य प्राप्त होगा." वेदव्यास के वचन के मुताबिक महाबली भीम ने निर्जला एकदाशी का व्रत किया लेकिन द्वादशी के दिन प्रात: काल में ही वह भूख और प्यास की वजह से मूर्छित हो गए. उस वक्त माता कुंति ने महाबली की मूर्छा स्थिति को पानी पिलाकर दूर किया. इस वजह से निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है. 

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