Shardiya Navratri 2021: नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. मां का ये स्वरूप भक्तों को सिद्धि प्रदान करता है. नवमी तिथि (Navratri Mahanavmi 2021) को घटस्थापना की तिथि यानी नवरात्रि के पहले दिन की तरह ही महत्वपूर्ण माना जाता है. नवमी के दिन मां को प्रसन्न करने के लिए विधिवत तरीके से पूजा अर्चना की जाती है. नवमी के दिन कन्या पूजन करना शुभ माना जाता है. नवरात्रि के नौवें दिन नवमी तिथि पर कन्या पूजन किया जाता है. हिंदू धर्म में इसका बड़ा महत्व बताया गया है. इस दिन 10 साल से कम उम्र की कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है. नौ देवियों के प्रतिबिंब के रूप में कन्या पूजन के बाद ही भक्तों के नवरात्र व्रत संपन्न माने जाते हैं. इस बार शारदीय नवरात्रि की नवमी 14 अक्टूबर को पड़ी है. ये नवरात्रि पूजा का आखिरी दिन होता है. कुछ लोग मां दुर्गा को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए नौ दिन उपवास रखते हैं. तो कुछ पहले और आखिरी दिन व्रत रखकर मां की उपासना करते हैं. कहते हैं कि मां दुर्गा के ये व्रत संपन्न तभी माने जाते हैं, जब कन्या पूजन किया जाता है. देवी की तरह इन कन्याओं की पूजा की जाती है. इन्हें भोग लगाकर, पैर छुए जाते हैं और सामर्थ्य अनुसार, गिफ्ट आदि देकर विदा किया जाता है. आइए जानते हैं कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त और इसकी विधि.
कब है महानवमी तिथि (Mahanavami Tithi)
नवमी तिथि 13 अक्टूबर रात 8 बजकर 7 मिनट से लेकर 14 अक्टूबर शाम 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगी. इस बार नवमी तिथि 14 अक्टूबर के दिन मनाई जाएगी. भक्त गुरुवार के दिन कन्या पूजन कर अपने नवरात्रि के व्रत संपन्न करेंगे.
Navratri 2021 Date:
कन्या पूजन का मुहूर्त (Kanya Pujan Muhurt)
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का प्रारंभ 13 अक्टूबर दिन बुधवार की रात 08:07 बजे से हो गया है.
इसका समापन 14 अक्टूबर दिन गुरुवार शाम 06:52 बजे हो रहा है.
महानवमी के दिन रवि योग रवि प्रात: 9:36 बजे से प्रारंभ है, जो 15 अक्टूबर को सुबह 06:22 बजे तक है.
ऐसे में आप सुबह में मां सिद्धिदात्री की पूजा करने के बाद कन्या पूजन कर सकते हैं.
इसके अतिरिक्त अमृत काल और ब्रह्म मुहूर्त में भी पूजन करना शुभ है.
कन्या पूजन का नियम (Navami kanya Pujan Rule)
- कन्या पूजा में 2-10 वर्ष तक की कन्याओं को आमंत्रित करना चाहिए.
- कन्या पूजा में 9 कन्याओं को भोज कराएं और दक्षिणा देकर आशीष लें.
- कन्याओं के साथ एक बालक को भी भोज के लिए बैठाना चाहिए. बता दें कि बालक को बटुक भैरव का स्वरुप माना जाता है.
- आप अपने सामर्थ्य के अनुसार, कन्याओं की संख्या पूजा के लिए निर्धारित कर सकते हैं. वहीं, 9 कन्याओं की पूजा की बाध्यता नहीं है.
कन्या पूजन विधि (Navami kanya Pujan Vidhi)
- कन्याओं का पुष्प वर्षा से स्वागत करें
- नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं.
- इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठायें.
- सभी के पैरों को दूध या फिर जल से भरी थाली में रखकर अपने हाथों से धुलाएं.
- इसके बाद पैर छूकर आशीष लें.
- कन्याओं के माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम लगाएं.
- मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार, भोजन कराएं.
- भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार, दक्षिणा, उपहार दें.
- कन्या पूजन के लिए हलवा पूड़ी और चने प्रसाद के रूप में बनाए जाते हैं.
Navratri 2021 Date:
कन्या पूजन (हर उम्र की कन्या है मां दुर्गा का स्वरुप)
- 10 वर्ष की कन्या सुभद्रा.
- 9 वर्ष की कन्या दुर्गा.
- 8 वर्ष की कन्या शाम्भवी.
- 7 वर्ष की कन्या चंडिका.
- 6 वर्ष की कन्या कालिका.
- 5 वर्ष की कन्या रोहिणी.
- 4 वर्ष की कन्या कल्याणी.
- 3 वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति.
- 2 वर्ष की कन्या कुंआरी.
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