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This Article is From Dec 15, 2021

Matsya Dwadashi 2021: आज मत्स्य द्वादशी के दिन होती है भगवान श्री हरि विष्णु के पहले अवतार की पूजा

Matsya Dwadashi: माना जाता है कि मत्स्य द्वादशी के दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य का अवतार लेकर दैत्य हयग्रीव का संहार कर वेदों की रक्षा की थी. कहते हैं कि मत्स्य द्वादशी के दिन भगवान विष्णु की श्रद्धा पूर्वक पूजा करने से सभी कष्टों का नाश होता है.

Matsya Dwadashi 2021: आज मत्स्य द्वादशी के दिन होती है भगवान श्री हरि विष्णु के पहले अवतार की पूजा
Matsya Dwadashi 2021: जानिए मत्स्य द्वादशी के दिन क्यों होती है भगवान विष्णु के पहले अवतार की पूजा
नई दिल्ली:

हिंदू धर्म में मत्स्य द्वादशी का विशेष महत्व है. मत्स्य द्वादशी (Matsya Dwadashi) मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है. आज के दिन भगवान श्री हरि विष्णु के पहले अवतार मत्सय स्वरूप की उपासना की जाती है. माना जाता है जो सतयुग में पृथ्वी पर आए थे. श्री हरी ने मत्स्य रूप में प्रथम अवतार लिया था. यह भगवान विष्णु के 12 अवतारों में से एक है. आज के दिन श्री हरि का विशेष पूजन किया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मत्स्य द्वादशी के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की उपासना से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. इस साल मत्सय द्वादशी आज बुधवार (15 दिसंबर, 2021) के दिन मनाई जा रही है.

Matsya Dwadashi 2021: आज है मत्सय द्वादशी, जानिए पूजा का महत्व और पूजा विधि

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बता दें कि 'नागलापुरम वेद नारायण स्वामी मंदिर' आंध्र प्रदेश के तिरुपति में स्थित है, जो भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार को समर्पित है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये भगवान श्री हरि विष्णु के मत्सय अवतार को समर्पित एकमात्र मंदिर है. कहा जाता है कि सृष्टि का आरंभ जल से हुआ है और आज के समय में जल ही जीवन है, इसलिए शास्त्रों में इसका विशेष महत्व है. बेहद कम लोग ही जानते हैं कि द्वादशी तिथि को मनाई जाने वाले मत्स्य द्वादशी को 'हयपंचमी' भी कहा जाता है.

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मत्स्य अवतार की कथा | Katha Of Matsya Avatar

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, एक बार भगवान ब्रह्मा जी की असावधानी से दैत्य हयग्रीव ने वेदों को चुरा लिया. हयग्रीव द्वारा वेदों को चुरा लेने के कारण ज्ञान लुप्त हो गया. इस दौरान समस्त लोक में अज्ञानता का अंधकार फैल गया. ऐसे में भगवान श्री हरि विष्णु ने धर्म की रक्षा के लिए मत्स्य अवतार (Matsya Avtaar) धारण कर दैत्य हयग्रीव का वध कर, वेदों की रक्षा की. इसके उपरांत भगवान श्री हरि ने भगवान ब्रह्मा जी को वेद सौंप दिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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