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This Article is From Jun 28, 2022

Mangalwar Vrat Udyapan: कैसे करें मंगलवार व्रत का उद्यापन और हनुमान जी की पूजा, जानिए पूरी विधि

Mangalwar Vrat Udyapan: मंगलवार व्रत पूरा होने के बाद उसका उद्यापन भी किया जाता है. आइए जानते हैं मंगलवार व्रत का उद्यापन और इस दिन हनुमान जी की पूजा कैसे की जाती है.

Mangalwar Vrat Udyapan: कैसे करें मंगलवार व्रत का उद्यापन और हनुमान जी की पूजा, जानिए पूरी विधि
Mangalwar Vrat Udyapan: मंगलवार व्रत के उद्यापन की खास विधि बताई गई है.

Mangalwar Vrat Udyapan: हनुमान जी के भक्त मंगलवार को व्रत (Tuesday Fast) रखते हैं. माना जाता है कि मंगलवार का व्रत () रखने से कुंडली का मंगल दोष खत्म खत्म हो जाता है. साथ ही हनुमान जी (Hanuman Ji) का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके अलावा यह व्रत साहस, शौर्य, बल और सम्मान को बढ़ाने वाला होता है. कुछ भक्त संतान प्राप्ति की इच्छा से भी इस व्रत को रखते हैं. कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से बुरी शक्तियों के दुष्प्रभाव से भी मुक्ति मिल सकती है. मंगलवार का व्रत पूरा होने के बाद इसका उद्यापन करना जरुरी माना गया है. आइए जानते हैं कि मंगलवार व्रत का उद्यापन (Mangalwar Vrat Udyapan) कैसे किया जाता है और इस दिन हनुमान जी की पूजा कैसे की जाती है. 

मंगलवार व्रत की पूजा विधि | Mangalwar Vrat Puja Vidhi

धार्मिक मान्यतानुसार, लगातार 21 मंगलवार तक विधि पूर्वक व्रत रखने से इच्छा पूरी होती है. ऐसे में व्रत दिन सूर्योदय से पहले स्नान आदि से निवृत होकर ईशान कोण या किसी हनुमान मंदिर में भगवान की प्रतिमा या तस्वीर के सामने शुद्ध आसन पर बैठा जाता है. मान्यता है कि मंगलवार का व्रत भक्तों को लाल वस्त्र पहनकर करना चाहिए. फिर हाथ में जल या गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद बजरंगबली के सामने घी का दीपक जलाया जाता है और भगवान को फूल की माना अर्पित की जाती है. रुई में चमेली का तेल लेकर हनुमान जी को अर्पित किया जाता है. इसके बाद मंगलवार व्रत कथा का पाठ किया जाता है. पूजा के अंत में सुंदरकांड का पाठ और हनुमानजी की आरती की जाती है. 

मंगलवार व्रत के उद्यापन की विधि | Mangalwar Vrat Udyapan Vidhi

मंगलवार का व्रत जब 21 मंगलवार तक कर लिया जाता है तो 22 वें मंगलवार को विधि पूर्वक हनुमान जी (Hanuman Ji) की पूजा-आरती की जाती है. पूजा के बाद हनुमान जी को चोला अर्पित किया जाता है. इसके बाद ब्रह्मणों को भोजन कराकर व्रत का उद्यापन किया जाता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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