फाइल फोटो
नासिक:
यहां त्र्यंबकेश्वर मंदिर प्रशासन ने भगवान शिव के इस मंदिर के गर्भगृह में पुरूषों के प्रवेश पर भी कल रोक लगा दी जिसका लक्ष्य पुरूषों एवं महिलाओं दोनों के साथ समान बर्ताव करना है।
यह फैसला आज से प्रभावी होगा। यह ऐसे समय में आया है जब बंबई उच्च न्यायालय ने मंदिरों में प्रवेश के लिए पुरूषों के साथ महिलाओं को समान अधिकार देने का फैसला दिया था।
अब महिला और पुरुष एक समान
न्यासियों में एक ललिता शिंदे ने कहा कि आज सुबह अध्यक्ष एवं जिला न्यायाधीश उर्मिला फाल्के जोशी की अध्यक्षता में त्र्यंबकेश्वर देवस्थानम न्यास की बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
बैठक में सचिव एन एम नागरे, न्यास के सदस्य कैलाश घुले, यादवराव तुंगर, श्रीकांत गैधानी और सचिंद्र पाचोरकर ने हिस्सा लिया। शिंदे ने कहा, ‘‘पुरूषों और महिलाओं के साथ समान बर्ताव के लिए यह फैसला किया गया।’’
शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में है एक है त्र्यंबकेश्वर
यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब एक दिन पहले ही भूमाता रणरागिनी बिग्रेड की तृप्ति देसाई और 25 अन्य महिला कार्यकर्ताओं को अहमदनगर के शिंगणापुर गांव में प्रसिद्ध शनि मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने से रोकने के लिए एहतियातन हिरासत में लिया गया था।
नासिक से करीब 30 किलोमीटर दूर त्र्यंबकेश्वर मंदिर देश में भगवान शिव के महत्वपूर्ण पावन स्थलों में है और वह 12 ज्योतिर्लिंगों में एक है । यहां दूर दूर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
पेशवा काल से है महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध
घुले के अनुसार गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश पर रोक सदियों पुरानी पंरपरा है और इसे हाल में लागू नहीं किया गया। यह प्रतिबंध पेशवा काल से ही है।
परंपरा के अनुसार केवल पुरूषों को ही सुबह छह और सात बजे के बीच उस क्षेत्र में जाने दिया जाता था जहां मुख्य लिंग स्थित है और वह भी विशेष परिधान पहनने पर। महिलायें मूल क्षेत्र के बाहर से दर्शन कर सकती हैं।
यह फैसला आज से प्रभावी होगा। यह ऐसे समय में आया है जब बंबई उच्च न्यायालय ने मंदिरों में प्रवेश के लिए पुरूषों के साथ महिलाओं को समान अधिकार देने का फैसला दिया था।
अब महिला और पुरुष एक समान
न्यासियों में एक ललिता शिंदे ने कहा कि आज सुबह अध्यक्ष एवं जिला न्यायाधीश उर्मिला फाल्के जोशी की अध्यक्षता में त्र्यंबकेश्वर देवस्थानम न्यास की बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
बैठक में सचिव एन एम नागरे, न्यास के सदस्य कैलाश घुले, यादवराव तुंगर, श्रीकांत गैधानी और सचिंद्र पाचोरकर ने हिस्सा लिया। शिंदे ने कहा, ‘‘पुरूषों और महिलाओं के साथ समान बर्ताव के लिए यह फैसला किया गया।’’
शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में है एक है त्र्यंबकेश्वर
यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब एक दिन पहले ही भूमाता रणरागिनी बिग्रेड की तृप्ति देसाई और 25 अन्य महिला कार्यकर्ताओं को अहमदनगर के शिंगणापुर गांव में प्रसिद्ध शनि मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने से रोकने के लिए एहतियातन हिरासत में लिया गया था।
नासिक से करीब 30 किलोमीटर दूर त्र्यंबकेश्वर मंदिर देश में भगवान शिव के महत्वपूर्ण पावन स्थलों में है और वह 12 ज्योतिर्लिंगों में एक है । यहां दूर दूर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
पेशवा काल से है महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध
घुले के अनुसार गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश पर रोक सदियों पुरानी पंरपरा है और इसे हाल में लागू नहीं किया गया। यह प्रतिबंध पेशवा काल से ही है।
परंपरा के अनुसार केवल पुरूषों को ही सुबह छह और सात बजे के बीच उस क्षेत्र में जाने दिया जाता था जहां मुख्य लिंग स्थित है और वह भी विशेष परिधान पहनने पर। महिलायें मूल क्षेत्र के बाहर से दर्शन कर सकती हैं।
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