जैन समुदाय के र्तीथ श्रवणबेलगोला में 88वें महामस्तिकाभिषेक की तैयारियां जोरों पर हैं. भगवान गोमतेश्वपर के अभिषेक का मुख्य सहारोह अगले साल फरवरी में आयोजित होना है. हर 12 साल बाद हजारों श्रद्धालु महामस्तकाभिषेक के लिए यहां आते हैं. इस मौके पर हजारों साल पुरानी इस मूर्ति का दूध, दही, घी, केसर और सोने के सिक्कों से अभिषेक किया जाता है. पिछला अभिषेक फरवरी 2006 में हुआ था. इस साल इसमें 35 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है.
श्रवणबेलगोला के बारे में
कर्नाटक राज्य के श्रवणबेलगोला शहर के पास चंद्रगिरी पहाड़ी की चोटी पर जैन संत बाहुबली की एक मूर्ती स्थापित है. इसे गोमतेश्वर भी कहा जाता है. यहां तक पहुंचने के लिए 618 सीढियां चढ़कर आना पड़ता है. यह एक ही पत्थर से निर्मित विशालकाय मूर्ति है. इसका निर्माण 983 ई. में गंगा राजा रचमल के एक मंत्री चामुण्डाराया ने करवाया था. मान्यता है कि यह मूर्ति एक ही महीन सफ़ेद ग्रेनाईट पत्थर से काटकर बनाई गई है.
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मान्यता
यह स्थल धार्मिक रूप से बेहद अहम माना जाता है. जैन धर्म के अनुयायी की मान्यता है कि मोक्ष सबसे पहले बाहुबली को प्राप्त हुआ था. जैन परंपरा के अनुसार ही इस मूर्ति में बाहुबली ने वस्र भी नहीं पहने हैं. यह मूर्ति 30 किमी की दूरी से दिखाई देती है. माना जाता है कि दुनिया भर में एक ही पत्थर से बनी यह सबसे बड़ी मूर्ति है. श्रवणबेलगोला के आसपास जैन बस्तियां हैं और उनके तीर्थंकरों की कई प्रतिमाएं भी.
श्रवणबेलगोला के बारे में
कर्नाटक राज्य के श्रवणबेलगोला शहर के पास चंद्रगिरी पहाड़ी की चोटी पर जैन संत बाहुबली की एक मूर्ती स्थापित है. इसे गोमतेश्वर भी कहा जाता है. यहां तक पहुंचने के लिए 618 सीढियां चढ़कर आना पड़ता है. यह एक ही पत्थर से निर्मित विशालकाय मूर्ति है. इसका निर्माण 983 ई. में गंगा राजा रचमल के एक मंत्री चामुण्डाराया ने करवाया था. मान्यता है कि यह मूर्ति एक ही महीन सफ़ेद ग्रेनाईट पत्थर से काटकर बनाई गई है.
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