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Mahalaxmi Vrat 2023: हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी (Mahalaxmi) का विशेष महत्व है. परिवार में सुख- समृद्धि और धन प्राप्ति के लिए लोग मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते हैं. आज से महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) का शुभारंभ हो रहा है. ऐसे में लोगों में उत्साह का माहौल बना हुआ है. महालक्ष्मी व्रत 22 सितंबर, शुक्रवार से 6 अक्टूबर, शुक्रवार तक चलेगा. यह व्रत भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से आश्विन कृष्ण अष्टमी तक चलता है. यह खास इसलिए भी है क्योंकि इसकी शुरुआत शुक्रवार से हो रही है और शुक्रवार को ही ये इसका समापन भी है. ऐसे में जल्दी से आप व्रत का शुभ मुहूर्त, (mahalaxmi vrat vidhi) मंत्र और सही पूजा विधि (mahalaxmi vrat 2023 vidhi in hindi) नोट कर लें ताकि मां लक्ष्मी आपकी भी झोली भरे और आपके परिवार में धन वैभव बना रहे.
महालक्ष्मी व्रत का शुभारंभभाद्रपद शुल्क अष्टमी तिथि का आरंभ 22 सितंबर, शुक्रवार यानी आज दोपहर 1 बजकर 35 मिनट पर होगा और 23 सितंबर, शनिवार यानी कल दोपहर 12 बजकर 17 मिनट पर इसका समापन होगा.
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आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि की शुरुआत 6 अक्टूबर, शुक्रवार को सुबह 6 बजकर 34 मिनट पर होगी और इसका समापन 7 अक्टूबर, शनिवार को सुबह 8 बजकर 8 मिनट पर होगा.
महालक्ष्मी व्रत पूजा का शुभ मुहूर्तहिंदू पंचांग के अनुसार महालक्ष्मी व्रत का शुभ मुहूर्त 22 सितंबर 2023 को दोपहर 1 बजकर 35 मिनट से लेकर 23 सितंबर 2023 दिन शनिवार को दोपहर 12 बजकर 17 मिनट तक का है.
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अगर महालक्ष्मी की कृपा चाहते हैं और अपने परिवार में सुख शांति समृद्धि के साथ धन वैभव चाहते हैं तो ओम श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध नमः मंत्र का जाप करें. इससे मां लक्ष्मी की कृपा आपके परिवार पर सदैव बनी रहेगी.
महालक्ष्मी व्रत पूजा विधिअगर विधिवत तौर पर मां की पूजा अर्चना की जाए तो मां अपने भक्तों से प्रसन्न होती है की उनकी कृपा हमेशा उनके भक्तों पर बनी रहती है. ऐसे में जरूरी है की पूजा करते समय आप इन बातों का खास खयाल रखें. सबसे पहले मां लक्ष्मी की मूर्ति भगवान गणेश के साथ स्थापित करें. उसके बाद मां के सामने गुलाब, कमल का फूल, साड़ी, सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, बिछिया, धूप, दीप, फल अर्पित करें. उसके बाद एक गुलाबी रंग या लाल रंग का धागा लें उसमें 16 गांठें लगा दें और उसकी भी पूजा करें. याद रहे यह चीज आपको 15 दिनों तक करनी है. उसके बाद महालक्ष्मी मंत्र का जाप करें और मनोकामना मांगे. अंतिम दिन मां लक्ष्मी की मूर्ति का विसर्जन कर दें. आप चाहे तो मूर्ति को अपने पूजा घर में स्थापित भी कर सकते हैं. (प्रस्तुति- रौशनी सिंह)
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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