उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित ऐशबाग ईदगाह ने गुरुद्वारों में लंगर की तर्ज पर सामुदायिक रसोई स्थापित की है. दारूल उलूम के इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया की इस पहल का नाम लंगर-ए-आदम या आदम की रसोई रखा गया है. ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद राशिद फिरंगी महली ने कहा कि रसोई में प्रतिदिन शाम 7.30 बजे से 9.30 बजे तक लगभग 200 लोगों को शुद्ध शाकाहारी भोजन कराया जाएगा. आगंतुकों की संख्या बढ़ने पर उनकी योजना यह संख्या बढ़ाने की भी है.
मौलाना खालिद ने कहा, "हमारा लक्ष्य सातों दिन गरीब और भूखे लोगों को शम को भोजन कराना है. यह इस्लाम के उस संदेश के अंतर्गत है, जिसमें गरीबों की सेवा करने के लिए कहा गया है. इस्लाम के अनुसार, धार्मिक स्थल सिर्फ पूजा करने के लिए नहीं बल्कि समाज सेवा का केंद्र भी हैं. इसीलिए हमने यह पहल की है."
इमाम ने कहा कि वे इस विचार पर पिछले सात महीनों से गंभीर थे और विभिन्न क्षेत्र के मुस्लिमों के रुचि दिखाने के बाद यह पहल शुरू की गई. यह रसोई हालांकि जाति, धर्म या वर्ग से परे सभी लोगों के लिए खुली है. मौलाना ने कहा, "रसोई सप्ताह के सातों दिन चलेगी, लेकिन खाना सिर्फ शाकाहारी होगा और प्रतिदिन खाने का मेन्यू बदला जाएगा."
आदम-ए-लंगर को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है और जल्द ही इसे शहर में स्थित अन्य धार्मिक स्थानों पर ले जाया जाएगा. आदम-ए-लंगर के नाम को समझाते हुए मौलाना खालिद ने कहा, "इस्लाम की शिक्षा के अनुसार, इस ग्रह पर प्रत्येक व्यक्ति पैगंबर आदम की संतान है और इसी से हमने नाम तय किया."
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