Lalita Panchami 2022 Date: नवरात्रि में ललिता पंचमी का व्रत होता है बेहद खास, पढ़ें ये कथा

Lalita Panchami 2022: ललिता पंचमी का व्रत शारदीय नवरात्रि के 5वें दिन रखा जाता है. आइए जानते हैं ललिता पंचमी की व्रत कथा के बारे में.

Lalita Panchami 2022 Date: नवरात्रि में ललिता पंचमी का व्रत होता है बेहद खास, पढ़ें ये कथा

Lalita Panchami 2022: इस साल ललिता पंचमी का व्रत 30 सितंबर, 2022 को रखा जाएगा.

Lalita Panchami 2022 Vrat Katha: ललिता पंचमी (Lalita Panchami) का व्रत आश्विन शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को रखा जाता है. नवरात्रि में इस दिन मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता (Skandmata) की पूजा की जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) में ललिता पंचमी का व्रत 30 सितंबर, 2022 को रखा जाएगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार, ललिता पंचमी का व्रत रखने से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है. साथ ही मां ललिता देवी की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है. मान्यतानुसार, ललिता पंचमी व्रत (Lalita Panchami Vrat katha) बिना कथा के अधूर रह जाता है. आइए जानते हैं ललिता पंचमी व्रत कथा के बरे में.

ललिता पंचमी व्रत कथा | Lalita Panchami Vrat Katha

पौराणिक कथा के अनुसार, नैमिषारण्य में एक बार राजा दक्ष प्रजापति के आने से सभी लोग उनके स्वागत के लिए उठे लेकिन भगवान शिव नहीं उठ. यह राजा दक्ष को बुरा लगा. जिसके बाद उन्होंने इसे अपना अपमान समझा. एक बार दक्ष ने अपने निवास पर यज्ञ का आयोजन किया तो उन्होंने शिव जी को आमंत्रण नहीं भेजा. यह बात जब माता सती को मालूम हुई तो वो बिना अनुमति के ही अपने पिता के घर आयोजन में चली गईं. अपने पिता के घर पहुंचकर माता सती ने अपने पति शिवजी का जब बहुत अपमान सुना तो उनसे रहा नहीं गया. जिसके बाद माता सती ने यज्ञ में कूदकर अपने प्राण न्यौछावर कर दिए.

इस बात की जानकारी जब शिवजी को हुई तो वह तुरंत वहां पहुंचे और माता सती के शव को अपने कंधे पर रखकर विलाप में इधर-उधर भटकने लगे. जिसके बाद भगवान विष्णु शिवजी की यह दशा देख अपने चक्र से सती की देह को विभाजित कर दिया. भगवान शिव को हृदय में धारण करने के कारण इन्हें ललिता कहा जाने लगा.

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कहा जाता है कि मां ललिता का प्रादुर्भाव तब होता है जब ब्रह्मा द्वारा छोड़ा गया चक्र पाताल को समाप्त करने लगा. जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी जलमग्न होने लगी. जिसकी वजह से सभी ऋषि घबरा जाते हैं और माता ललिता देवी की उपासना करते हैं. परिणामस्वरूप देवी ललिता उस चक्र को अपने हाथों में थाम लेती है और पृथ्वी को नया जीवन प्राप्त होता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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