हजारों की संख्या में कश्मीरी पंडित जेष्ठा अष्टमी के मौके पर खीर भवानी मंदिर में उमड़ते हैं. इस वर्ष यह उत्सव यहां 2 जून को आयोजित हुआ. इस अवसर पर लगने वाले मेले में यहां बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित पहुंचे. खीर भवानी मंदिर को रगनया देवी माता का मंदिर भी कहा जाता है.
श्रीनगर से करीब 30 किलोमीटर दूर मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में यह वार्षिक उत्सव प्रसिद्ध रगन्या देवी मंदिर में हिंदू-मुस्लिम सद्भाव के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है. उत्सव पर इस मंदिर में भक्त मंत्रोच्चार के बीच पूजा-अर्चना करते हैं. पूजा में इस्तेमाल के लिये सामग्री का सारा इंतजाम स्थानीय मुसलमान करते हैं. यहां जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी मान्यताओं के बारे में...
हनुमानजी ने देवी का आसन किया था स्थानांतरित...
हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक, देवी रगनया रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर उसके समक्ष प्रकट हुई थीं। रावण ने श्रीलंका में देवी की एक प्रतिमा स्थापित की थी, लेकिन रावण के जीवन के अनैतिक तरीकों से क्रुद्ध देवी ने हुनमान को उनका आसन वहां से कश्मीर स्थानांतरित करने का आदेश दिया। जिसे हनुमानजी ने मान लिया और कश्मीर में उनका उनको स्थापित कर दिया।
इस मंदिर का प्रचलित नाम खीर भवानी इसलिए है क्योंकि यहां देवी को पारंपरिक रूप से खीर चढ़ाई जाती है.
ऐसी भी मान्यता है कि किसी प्राकृतिक आपदा के आने से पहले मंदिर के कुण्ड का पानी काला पड़ जाता है.
श्रीनगर से करीब 30 किलोमीटर दूर मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में यह वार्षिक उत्सव प्रसिद्ध रगन्या देवी मंदिर में हिंदू-मुस्लिम सद्भाव के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है. उत्सव पर इस मंदिर में भक्त मंत्रोच्चार के बीच पूजा-अर्चना करते हैं. पूजा में इस्तेमाल के लिये सामग्री का सारा इंतजाम स्थानीय मुसलमान करते हैं. यहां जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी मान्यताओं के बारे में...
हनुमानजी ने देवी का आसन किया था स्थानांतरित...
हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक, देवी रगनया रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर उसके समक्ष प्रकट हुई थीं। रावण ने श्रीलंका में देवी की एक प्रतिमा स्थापित की थी, लेकिन रावण के जीवन के अनैतिक तरीकों से क्रुद्ध देवी ने हुनमान को उनका आसन वहां से कश्मीर स्थानांतरित करने का आदेश दिया। जिसे हनुमानजी ने मान लिया और कश्मीर में उनका उनको स्थापित कर दिया।
इस मंदिर का प्रचलित नाम खीर भवानी इसलिए है क्योंकि यहां देवी को पारंपरिक रूप से खीर चढ़ाई जाती है.
ऐसी भी मान्यता है कि किसी प्राकृतिक आपदा के आने से पहले मंदिर के कुण्ड का पानी काला पड़ जाता है.
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