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This Article is From Nov 27, 2021

Kaal Bhairav Jayanti 2021 : जानिए काशी के कोतवाल काल भैरव की पौराणिक कथा, यहां हर भक्त पहुंचते हैं दर्शन करने

Kaal Bhairav Jayanti 2021 : कोतवाल बाबा काल भैरव मंदिर के पास एक कोतवाली है, जिसके बारे में यहां के लोगों का कहना है, आप मानें या न मानें, कि बाबा काल भैरव खुद उस कोतवाली का निरीक्षण करते हैं.

Kaal Bhairav Jayanti 2021 : जानिए काशी के कोतवाल काल भैरव की पौराणिक कथा, यहां हर भक्त पहुंचते हैं दर्शन करने
काल भैरव के काशी में विराजमान होने के बारे में एक बहुत ही रोचक पौराणिक कथा है.

सनातन नगरी कहे जाने वाले बनारस में बाबा विश्वनाथ के बाद अगर किसी का महत्व है, तो वे हैं काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव. बनारस के लोग सदियों से यह मानते आए हैं कि काशी विश्वेश्वर के इस शहर में रहने के लिए बाबा काल भैरव की इजाजत लेनी चाहिए, क्योंकि दैवी विधान के अनुसार वे इस शहर के प्रशासनिक अधिकारी हैं. शायद यही कारण है कि जो भी इस शहर में आता है, वह एकबार बाबा काल भैरव के मंदिर में शीश झुकाने जरूर जाता है.

काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा काल भैरव का प्राचीन मंदिर इस शहर के मैदागिन क्षेत्र में स्थित है, जोकि अपनी संकरी गलियों, भीड़ और व्यस्तता के लिए जाना जाता है. इस मंदिर के पास एक कोतवाली है, जिसके बारे में यहां के लोगों का कहना है, आप मानें या न मानें, कि बाबा काल भैरव खुद उस कोतवाली का निरीक्षण करते हैं.


भगवान शंकर की नगरी कही जाने वाली काशी के बारे में कई ग्रन्थों में जिक्र आया है कि विश्वनाथ महादेव इस शहर के राजा हैं और काल भैरव इस शहर के कोतवाल हैं, जहां उनकी मर्जी चलती है, क्योंकि वे शहर की पूरी व्यवस्था देखते हैं.

काल भैरव के काशी में विराजमान होने के बारे में एक बहुत ही रोचक पौराणिक कथा है. कथा के अनुसार, पहले ब्रह्माजी के पांच मुख हुआ करते थे. एक दिन पंचमुखी ब्रह्मा के एक मुख ने देवाधिदेव शिव की निंदा की तो शिव के अंश काल भैरव क्रोधित हो उठे और उन्होंने ब्रह्मा का मुख अपने नाख़ून से ही काट दिया. लेकिन काल भैरव के नाख़ून में ब्रह्मा के मुख का एक अंश चिपका रह गया था, जो हट ही नहीं रहा था. साथ ही काल भैरव को ब्रह्म हत्या का दोष भी लग गया.
भैरवजी ने परेशान होकर सारे लोकों में इसका समाधान ढूंढा, लेकिन उन्हें ब्रह्म हत्या से मुक्ति नहीं मिली. तब जगतपालक भगवान विष्णु ने काल भैरव को काशी भेजा. कहते हैं, यहां पहुंचकर काल भैरव को ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति मिल गई और उसके बाद वे यहीं स्थापित हो गए.

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