
Jyeshtha Gauri Puja 2021: पुराणों और मान्यताओं के मुताबिक, भगवान श्री गणेश प्रथम पूज्य हैं. सबसे पहले गणेश पूजन के बाद ही अन्य देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. भगवान गणेश की माता गौरी की पूजा करने से पहले श्री गणेश की पूजा की जाती है. दस दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव के दौरान मां गौरी की भी पूजा होती है. इस साल 10 सितंबर को गणेश चतुर्थी है, वहीं इसके दो दिन बाद षष्ठी यानि 12 सिंतबर को ज्येष्ठ गौरी स्थापना की जाएगी. इसके बाद अष्टमी के दिन यानि 14 सितंबर को गौर विसर्जन किया जाएगा.
ये है स्थापना और विसर्जन के मुहूर्त
अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं भादो के महीने में मां गौरी की आराधना करती हैं. तीन दिनों तक की जाने वाली ये पूजा भाद्रपद शुक्ल पक्ष की छठी को मां गौरी के आह्वान के साथ शुरू होती है. दूसरे दिन मां का पूजन और नैवेद्य के बाद तीसरे दिन यानी अष्टमी को विसर्जन होता है. इस साल गौरी का आगमन और स्थापन छष्टी यानि 12 दिसंबर को है. सुबह 9.49 के पश्चात् गौरी स्थापना कभी भी की जा सकती है. वहीं 14 सितंबर को अष्टमी के तिथि के दिन प्रात: 7.04 पश्चात् गौरी विसर्जन का मुहूर्त है.
ऐसी है मान्यताएं
पौराणिक कथाओं की मानें तो राक्षसों के अत्याचार से तंग आकर और अपने सौभाग्य की रक्षा के लिए महिलाओं ने मां गौरी का आह्वान किया. उनके आह्वान पर मां गौरी ने भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को राक्षसों का वध कर पृथ्वी के प्राणियों के दुखों का अंत किया. ऐसे में महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को ज्येष्ठ गौरी का व्रत करती हैं.
ऐसी होती है पूजा
परंपरा के अनुसार, ज्येष्ठ गौरी की प्रतिमाओं को साड़ी से सजाया जाता है. मां गौरी को सजाने के बाद शुभ मुहूर्त में मां गौरी की स्थापना की जाती है. दूसरे दिन नैवेद्य को 16 सब्जियां, 16 सलाद, 16 चटनी, 16 व्यंजन माता गौरी को चढ़ाए जाते हैं. इसके बाद 16 दीपक के साथ मां की आरती करने की मान्यता है. वहीं अष्टमी पर गौरी विसर्जन किया जाता है. महाराष्ट्र और कर्नाटक में इस पर्व का विशेष महत्व है.
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