जानें कैसे मनाई जाती है जानकी जयंती?
नई दिल्ली:
हर साल माता सीता का जन्म फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. साल 2018 में यह जानकी जयंती 8 फरवरी को है. इस दिन मिथिला के राजा जनक और रानी सुनयना की गोद में सीता आईं. अयोध्या के राजा दशरथ के बड़े पुत्र राम से सीता का विवाह हुआ. विवाह के बाद उन्होंने पति राम और देवर लक्ष्मण के साथ 14 साल का वनवास भी भोगा.
जब शबरी ने भगवान राम को चख-चख कर खिलाए जूठे बेर
इतना ही नहीं, इस वनवास के दौरान उनका लंका के राजा रावण ने अपहरण किया. वनवास के बाद भी वह हमेशा के लिए अयोध्या वापस नहीं जा सकीं. अपने पुत्रों के साथ उन्हें आश्रम में ही अपना जीवन व्यतीत करना पड़ा और आखिर में उन्हें अपने सम्मान की रक्षा के लिए धरती में ही समाना पड़ा.
हनुमान भक्त ज़रूर जानें 'हनुमान चालीसा' से जुड़े ये 5 फैक्ट्स
अपने जीवन में इतने कष्टों को देखने वाली माता सीता आखिरकार थीं कौन? यहां जानें माता सीता का जन्म कैसे हुआ.
क्यों शादी में एक-दूसरे को दिए जाते हैं सात वचन, क्या है इन वचनों का महत्व
कैसे हुआ जन्म?
रामायण के अनुसार एक बार मिथिला के राजा जनक यज्ञ के लिए खेत को जोत रहे थे. उसी समय एक क्यारी में दरार हुई और उसमें से एक नन्ही बच्ची प्रकट हुईं. उस वक्त राजा जनक की कोई संतान नहीं थी. इसीलिए इस कन्या को देख वह मोहित हो गए और गोद ले लिया. आपको बता दें हल को मैथिली भाषा में सीता कहा जाता है और यह कन्या हल चलाते हुए ही मिलीं इसीलिए इनका नाम सीता रखा गया.
कैसे मनाई जाती है जानकी जयंती?
इस दिन माता सीता की पूजा की जाती है, लेकिन पूजा की शुरुआत गणेश जी और अंबिका जी से होती है. इसके बाद माता सीता को पीले फूल, कपड़े और सुहागिन के श्रृंगार का सामान चढ़ाया जाता है. बाद में 108 बार इस मंत्र का जाप किया जाता है.
जानिए क्यों हर शुभ काम की शुरूआत भगवान गणेश से की जाती है
श्री जानकी रामाभ्यां नमः
जय श्री सीता राम
श्री सीताय नमः
मान्यता है कि यह पूजा खासकर विवाहित महिलाओं के लिए लाभकारी होती है. इससे वैवाहिक जीवन की समस्याएं ठीक हो जाती हैं.
इस वाटरफॉल में नहाने से बढ़ता है प्यार, कभी नहीं होता झगड़ा
जानकी जयंती के कई नाम
माता सीता के अनेकों नाम हैं. इसी वजह से उन्हें कई नामों से पुकारा जाता है. हल को मैथिली भाषा में सीता कहा जाता है और राजा जनक को वह खेत में हल चलाने के दौरान प्राप्त हुई थीं इसीलिए उनका नाम सीता रखा गया. भूमि में पाए जाने की वजह से उन्हें भूमिपुत्री या भूसुता भी कहा जाता है. वहीं, राजा जानक की पुत्री होने की वजह से उन्हें जानकी, जनकात्मजा और जनकसुता भी कहा जाने लगा. वह मिथिला की राजकुमारी थीं इसीलिए उनका नाम मैथिली भी पड़ा.
देखें वीडियो - राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद फिर सुर्खियों में
जब शबरी ने भगवान राम को चख-चख कर खिलाए जूठे बेर
इतना ही नहीं, इस वनवास के दौरान उनका लंका के राजा रावण ने अपहरण किया. वनवास के बाद भी वह हमेशा के लिए अयोध्या वापस नहीं जा सकीं. अपने पुत्रों के साथ उन्हें आश्रम में ही अपना जीवन व्यतीत करना पड़ा और आखिर में उन्हें अपने सम्मान की रक्षा के लिए धरती में ही समाना पड़ा.
हनुमान भक्त ज़रूर जानें 'हनुमान चालीसा' से जुड़े ये 5 फैक्ट्स
अपने जीवन में इतने कष्टों को देखने वाली माता सीता आखिरकार थीं कौन? यहां जानें माता सीता का जन्म कैसे हुआ.
क्यों शादी में एक-दूसरे को दिए जाते हैं सात वचन, क्या है इन वचनों का महत्व
कैसे हुआ जन्म?
रामायण के अनुसार एक बार मिथिला के राजा जनक यज्ञ के लिए खेत को जोत रहे थे. उसी समय एक क्यारी में दरार हुई और उसमें से एक नन्ही बच्ची प्रकट हुईं. उस वक्त राजा जनक की कोई संतान नहीं थी. इसीलिए इस कन्या को देख वह मोहित हो गए और गोद ले लिया. आपको बता दें हल को मैथिली भाषा में सीता कहा जाता है और यह कन्या हल चलाते हुए ही मिलीं इसीलिए इनका नाम सीता रखा गया.
कैसे मनाई जाती है जानकी जयंती?
इस दिन माता सीता की पूजा की जाती है, लेकिन पूजा की शुरुआत गणेश जी और अंबिका जी से होती है. इसके बाद माता सीता को पीले फूल, कपड़े और सुहागिन के श्रृंगार का सामान चढ़ाया जाता है. बाद में 108 बार इस मंत्र का जाप किया जाता है.
जानिए क्यों हर शुभ काम की शुरूआत भगवान गणेश से की जाती है
श्री जानकी रामाभ्यां नमः
जय श्री सीता राम
श्री सीताय नमः
मान्यता है कि यह पूजा खासकर विवाहित महिलाओं के लिए लाभकारी होती है. इससे वैवाहिक जीवन की समस्याएं ठीक हो जाती हैं.
इस वाटरफॉल में नहाने से बढ़ता है प्यार, कभी नहीं होता झगड़ा
जानकी जयंती के कई नाम
माता सीता के अनेकों नाम हैं. इसी वजह से उन्हें कई नामों से पुकारा जाता है. हल को मैथिली भाषा में सीता कहा जाता है और राजा जनक को वह खेत में हल चलाने के दौरान प्राप्त हुई थीं इसीलिए उनका नाम सीता रखा गया. भूमि में पाए जाने की वजह से उन्हें भूमिपुत्री या भूसुता भी कहा जाता है. वहीं, राजा जानक की पुत्री होने की वजह से उन्हें जानकी, जनकात्मजा और जनकसुता भी कहा जाने लगा. वह मिथिला की राजकुमारी थीं इसीलिए उनका नाम मैथिली भी पड़ा.
देखें वीडियो - राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद फिर सुर्खियों में
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं