
- सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ की मांगों पर सात दिन की गई सामूहिक छुट्टी पर नाराजगी जताई.
- CJI भूषण रामकृष्ण गवई की बेंच ने न्यायिक कार्य को सात दिन तक ठप करने को पूरी तरह अस्वीकार्य बताया.
- न्यायिक कामकाज को बाधित करने वाली गतिविधियों को कोर्ट ने बर्दाश्त नहीं करने की स्पष्ट चेतावनी दी.
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ की तरफ से वेतन संशोधन और कैडर पुनर्गठन की मांग को लेकर की गई भूख हड़ताल और सात दिन की सामूहिक छुट्टी पर कड़ी नाराजगी जताई है. CJI भूषण रामकृष्ण गवई की अगुआई वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी की.
सहन नहीं होंगी गतिविधियां
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि ऐसी सामूहिक हड़तालों के जरिए संस्थागत दबाव डालना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. दरअसल राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा 2022 में अनुमोदित कैडर पुनर्गठन और वेतन संशोधन को लागू न करने पर राज्य सरकार की निष्क्रियता के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कई मामले पर सख्त टिप्पणी की है. जस्टिस गवई ने कहा कि न्यायिक कार्य को 7 दिन तक ठप करना कतई स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने चेतावनी दी कि न्यायिक कामकाज को पंगु बनाने वाली गतिविधियां सहन नहीं की जाएंगी.
क्या कहा कर्मचारी संघ ने
कर्मचारी संघ के वकील ने कहा कि आंदोलन अब समाप्त हो गया है. कोर्ट को बताया गया कि सभी कर्मचारी काम पर लौट चुके हैं. उन्होंने यह भी बताया कि हड़ताल से पहले इसकी सूचना हाईकोर्ट को दी गई थी. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने हस्तक्षेप करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कैडर पुनर्गठन के मुद्दे पर ध्यान दिलाया था. लेकिन सरकार द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने से 14 जुलाई 2025 से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू हो गई. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि न्यायपालिका को दबाव में लेने की कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा
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