
- हरेला का पर्व हरियाली और नई ऋतु के शुरू होने की खुशी में मनाया जाता है.
- इस पर्व के 9 दिन पहले घर के मंदिर में सात प्रकार के अन्न रोपे जाते हैं.
- उत्तराखंड की कला एवं संस्कृति दुनिया भर में प्रसिद्ध है.
Harela 2022 : प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण राज्य उत्तराखंड (Uttarakhand) की कला एवं संस्कृति दुनिया भर में प्रसिद्ध है. इसे देवों की भूमि के नाम से भी जाना जाता है. यहां की संस्कृति में विविधताएं देखने को मिलती है जिसके कारण यहां पर देशी विदेशी पर्यटकों का खूब जमावड़ा लगता है. उत्तराखंड के कुछ प्रमुख पर्व है जिसमें से एक है हरेला (Harela parv). जिसकी चर्चा लोग खूब करते हैं. आज यह पर्व देव भूमि में धूम धाम से मनाया जा रहा है. आपको बता दें कि उत्तराखंड में इस पर्व के बाद ही सावन (Sawan in Uttarakhand) की शुरूआत होती है.
क्या है हरेला पर्व | What is Harela parv
-हरेला का पर्व हरियाली और नई ऋतु के शुरू होने की खुशी में मनाया जाता है. इसके बाद से ही यहां पर सावन के पवित्र महीने की शुरूआत होती है. आपको बता दें कि हरेला का अर्थ होता है हरियाली .
- इस पर्व के 9 दिन पहले घर के मंदिर में सात प्रकार के अन्न जिसमें गेहूं, मक्का, गहत, सरसों, उड़द और भट्ट के बीजों को रिंगाल की टोकरी में रोपा जाता है.
- फिर 10 दिन बाद इन्हें काटकर घर का मुखिया इनकी पूजा करते हैं,जिसे हरेली पतीसना के नाम से जाना जाता है. इसके बाद भगवान को चढ़ाया जाता है. फिर घर की बूजुर्ग महिला सभी सदस्यों को यह हरी घास कान के पीछे रखती हैं. यह रखते हुए गीत गाने की भी परंपरा है.
- यह त्योहार परिवार की एकता बनाए रखने और प्रकृतिक के संरक्षण का संदेश देता है. महापर्व हरेला के काटने का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजे से 11.30 बजे तक है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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