हनुकाह (Hanukkah, Chanukah or Ḥanukah) यहूदियों का त्योहार है. इसे फेस्टिवल्स ऑफ लाइट्स (Festivals of Lights) भी कहा जाता है. हनुकाह रोशनी या कहें प्रकाश को सेलिब्रेट करने का त्योहार है. मान्यता है कि यहूदी लोगों के मदिंर के तेल का एक जार मंदिर के शाश्वत दीपक पूरे आठ दिनों तक जलाए रखता था. उस रोशनी और तेल का इस त्योहार में खास महत्व रहा है. इसी वजह से हनुकाह में तेल से बनी ज्यादातर चीज़ें खाई जाती हैं और लगातार आठ दिनों तक मोमबत्ती जलाई जाती है. यहां जानिए हनुकाह से जुड़ी और खास बातें.
कब बनाया जाता है हनुकाह?
हिब्रू कैलेंडर के मुताबिक हनुकाह किसलेव (Kislev) महीने (साल के नौवें महीने यानी सितंबर) से शुरू हो जाता है. वहीं, ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक हनुकाह दिसंबर के आखिरी हफ्ते से शुरू हो जाता है. हनुकाह आठ दिनों तक मनाया जाता है. इस साल हनुकाह 22 दिसंबर से 30 दिसंबर तक मनाया जाएगा.
कैसे मनाया जाता है हनुकाह?
हनुकाह लगातार आठ दिनों तक मनाया जाता है. इसमें हर दिन एक मोमबत्ती जलाई जाती है. ये मोमबत्तियां 9 शाखा वाली कैंडल ब्रूम में लगाकर जलाई जाती हैं. घर में लाइट्स लगती हैं, डेकोरेशन की जाती है. साथ ही हनुकाह के दिन ड्रेडल (Dreidel) नाम का खेल खेला जाता है. तेल से बने पकवान खाए जाते हैं जैसे लैटेक्स (Latkes) और सुफगनियोत (Sufganiyot).
क्यों खास है हनुकाह?
हनुकाह लाइट्स या रोशनी का त्योहार है. ऐसी मान्यता है कि हर शुभ चीज़ की शुरुआत रोशनी (दीपिक, दीये या फिर मोमबत्ती) से ही होती है. मंदिरों में दिये जलते हैं और बर्थडे पर मोमबत्तियां. इसी के साथ हर शुभ चीज़ों पर आर्टिफिशल ही सही लेकिन लाइट्स लगाकर रोशनी की जाती है. यानी रोशनी खुशी का प्रतीक है. इसलिए भी हनुकाह खास माना जाता है. इसे और खास बनाता है दिसंबर का ये आखिरी हफ्ता, जब विदेशों में क्रिसमस (Christmas) और नए साल (New Year) जश्न मनाया जाता ही है.
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