ईसाई धर्म के प्रवर्तक ईसा मसीह को जिस दिन सलीब (सूली) पर चढ़ाया गया और उन्होंने प्राण त्यागे थे, बाइबिल के अनुसार, उस दिन शुक्रवार यानी फ्राइडे था. इसलिए इस दिन को गुड फ्राइडे मनाया जाता है. यह अंग्रेज़ी कैलेंडर के हिसाब से प्रायः अप्रैल के महीने में पड़ता है. इस दिन ईसा मसीह ने अमानवीय यातनाएं सहते हुए मानवता के लिए अपने प्राण त्याग दिए. उन्होंने धरती पर बढ़ रहे अत्याचार आर पाप के लिए बलिदान देकर निःस्वार्थ प्रेम की पराकाष्ठा का उदाहरण प्रस्तुत किया. इसलिए गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे और ग्रेट फ्राइडे भी कहा जाता है. बहुतेरे इसे ब्लैक फ्राइडे भी कहते हैं.
जानिए क्या है गुड फ्राइडे का महत्व...
ईसाई धर्मावलम्बियों के लिए गुड फ्राइडे का विशेष महत्व रखता है. अनेक लोग इस बलिदान के लिए ईसा मसीह की कृतज्ञता व्यक्त करते हुए 40 तक उपवास भी रखते हैं, जो ‘लेंट’ कहलाता है, तो कोई केवल शुक्रवार को ही व्रत रखकर प्रेयर (प्रार्थना) करते हैं. यह दिन प्रभु ईसा के उपदेशों और उनकी शिक्षाओं और वचनों को न केवल याद करने का दिन है, बल्कि उन्हें अमल लाने के लिए प्रेरित होने का दिन है. सलीब पर लटके हुए ईसा ने जो अंतिम बात कही थी, वह उनके क्षमा की शक्ति की अन्यतम मिसाल है. सलीब पर लटकाए जाने के बाद मृत्यु पूर्व उनके मार्मिक और हृदयग्राही शब्द थे- ‘हे ईश्वर इन्हें क्षमा करें, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं’.
क्यों सलीब पर लटकाए गए यीशु...
यह आज से लगभग दो हजार वर्ष पहले की घटना है. यरुशलम के गैलिली प्रांत के नासरत निवासी ईसा युवा होने पर लोगों को मानवता, भाईचारा, एकता और शांति का उपदेश देकर लोगों में परमपिता परमेश्वर में आस्था जगाने लगे. वे खुद को ईश्वर का पुत्र कहते थे और परमेश्वर के राज्य के आगमन और स्थापना की बातें करते थे. उन्होंने धार्मिक अंधविश्वास फैलाने वाले रब्बियों (धर्मगुरुओं) को मानव जाति का शत्रु बताया. ईसा की लोकप्रियता में दिन-ब-दिन इजाफा होता जा रहा था. उनके संदेशों से परेशान होकर धर्मगुरुओं ने रोम के शासक को पिलातुस के कान भरने शुरू किए कि स्वयं को ईश्वरपुत्र बताना भारी पाप है और वह परमेश्वर के राज्य की बात करता है. येनकेन-प्रकारेण, ईसा पर धर्म और राज्य की अवमानना का आरोप लगाकर सलीब (क्रूस) पर लटका कर मृत्यु-दंड देने का आदेश पारित करवा दिया.
...और ईसा को बेरहमी से कीलों से ठोक दिया
क्रूस पर लटकाए जाने से पूर्व ईसा को अनेक तरह की अमानवीय यातनाएं दी गईं. उनके सिर पर कांटों का ताज रखा गया. क्रूस को अपने कंधे पर उठाकर ले जाने के लिए बाध्य किया गया. कोड़ों और चाबुक लगाए गए. उनपर थूका गया. पित्त मिला हुआ शराब पीने को दिया गया. और अंततः दो अपराधियों के साथ सूली (सलीब/क्रूस) पर बेरहमी से कीलों से ठोक दिया गया.
ये थे ईसा के अंतिम शब्द...
जिस जगह ईसा को सलीब पर चढ़ाया गया था, बाइबिल के अनुसार, वह स्थान गोलगोथा नामक एक ऊंची टेकरी (टीला) था. जब ईसा अपने प्राण त्याग रहे थे तो, उन्होंने ऊंची आवाज में परमेश्वर को पुकारा और कहा- 'हे पिता! मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों सौंपता हूं.' ऐसा कहने के साथ ही, उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए.
ईसा के प्राण त्यागते समय हुई ये विचित्र घटनाएं...
कहते हैं, ईसा मसीह छह घंटे तक सलीब पर लटके रहे और यातना सहते रहे. बाइबिल के अनुसार, उनके सलीब पर चढ़ाए जाने के आखिरी तीन घंटों के दौरान दोपहर से अपराह्न 3 बजे तक पूरे देश में अंधेरा छाया रहा, जब एक चीख के बाद ईसा मसीह ने अपने प्राण त्यागे, तब उसी समय एक जलजला (भूकंप) आया था, कब्रों की कपाटें टूट कर खुल गयीं और पवित्र मंदिर का पर्दा ऊपर से नीचे तक फट गया था.
जानिए क्या है गुड फ्राइडे का महत्व...
ईसाई धर्मावलम्बियों के लिए गुड फ्राइडे का विशेष महत्व रखता है. अनेक लोग इस बलिदान के लिए ईसा मसीह की कृतज्ञता व्यक्त करते हुए 40 तक उपवास भी रखते हैं, जो ‘लेंट’ कहलाता है, तो कोई केवल शुक्रवार को ही व्रत रखकर प्रेयर (प्रार्थना) करते हैं. यह दिन प्रभु ईसा के उपदेशों और उनकी शिक्षाओं और वचनों को न केवल याद करने का दिन है, बल्कि उन्हें अमल लाने के लिए प्रेरित होने का दिन है. सलीब पर लटके हुए ईसा ने जो अंतिम बात कही थी, वह उनके क्षमा की शक्ति की अन्यतम मिसाल है. सलीब पर लटकाए जाने के बाद मृत्यु पूर्व उनके मार्मिक और हृदयग्राही शब्द थे- ‘हे ईश्वर इन्हें क्षमा करें, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं’.
क्यों सलीब पर लटकाए गए यीशु...
यह आज से लगभग दो हजार वर्ष पहले की घटना है. यरुशलम के गैलिली प्रांत के नासरत निवासी ईसा युवा होने पर लोगों को मानवता, भाईचारा, एकता और शांति का उपदेश देकर लोगों में परमपिता परमेश्वर में आस्था जगाने लगे. वे खुद को ईश्वर का पुत्र कहते थे और परमेश्वर के राज्य के आगमन और स्थापना की बातें करते थे. उन्होंने धार्मिक अंधविश्वास फैलाने वाले रब्बियों (धर्मगुरुओं) को मानव जाति का शत्रु बताया. ईसा की लोकप्रियता में दिन-ब-दिन इजाफा होता जा रहा था. उनके संदेशों से परेशान होकर धर्मगुरुओं ने रोम के शासक को पिलातुस के कान भरने शुरू किए कि स्वयं को ईश्वरपुत्र बताना भारी पाप है और वह परमेश्वर के राज्य की बात करता है. येनकेन-प्रकारेण, ईसा पर धर्म और राज्य की अवमानना का आरोप लगाकर सलीब (क्रूस) पर लटका कर मृत्यु-दंड देने का आदेश पारित करवा दिया.
...और ईसा को बेरहमी से कीलों से ठोक दिया
क्रूस पर लटकाए जाने से पूर्व ईसा को अनेक तरह की अमानवीय यातनाएं दी गईं. उनके सिर पर कांटों का ताज रखा गया. क्रूस को अपने कंधे पर उठाकर ले जाने के लिए बाध्य किया गया. कोड़ों और चाबुक लगाए गए. उनपर थूका गया. पित्त मिला हुआ शराब पीने को दिया गया. और अंततः दो अपराधियों के साथ सूली (सलीब/क्रूस) पर बेरहमी से कीलों से ठोक दिया गया.
ये थे ईसा के अंतिम शब्द...
जिस जगह ईसा को सलीब पर चढ़ाया गया था, बाइबिल के अनुसार, वह स्थान गोलगोथा नामक एक ऊंची टेकरी (टीला) था. जब ईसा अपने प्राण त्याग रहे थे तो, उन्होंने ऊंची आवाज में परमेश्वर को पुकारा और कहा- 'हे पिता! मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों सौंपता हूं.' ऐसा कहने के साथ ही, उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए.
ईसा के प्राण त्यागते समय हुई ये विचित्र घटनाएं...
कहते हैं, ईसा मसीह छह घंटे तक सलीब पर लटके रहे और यातना सहते रहे. बाइबिल के अनुसार, उनके सलीब पर चढ़ाए जाने के आखिरी तीन घंटों के दौरान दोपहर से अपराह्न 3 बजे तक पूरे देश में अंधेरा छाया रहा, जब एक चीख के बाद ईसा मसीह ने अपने प्राण त्यागे, तब उसी समय एक जलजला (भूकंप) आया था, कब्रों की कपाटें टूट कर खुल गयीं और पवित्र मंदिर का पर्दा ऊपर से नीचे तक फट गया था.
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