फाइल फोटो
मुम्बई:
चालीस वर्षीय गृहिणी अनिता शेटये को अहमदनगर जिले में शनि शिंगनापुर मंदिर ट्रस्ट की पहली महिला अध्यक्ष चुना गया है। यह मंदिर हाल में एक महिला द्वारा वहां पूजा कर मंदिर की परम्परा को तोड़ने के कारण चर्चा में था।
अध्यक्ष चुने जाने के तुरंत बाद शेटये ने संवाददाताओं से कहा कि वह उस परम्परा को जारी रखेगी और चौथारा (मंदिर प्लेटफॉर्म) पर महिलाओं को जाने की अनुमति देने की कोई योजना नहीं है। उल्लेखनीय है कि इस मंदिर में महिलाओं को शनि भगवान की मूर्ति की पूजा और उस पर तेल चढ़ाने की अनुमति नहीं है।
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यह भी पढ़ें : लैंगिक भेदभाव के विरोध में 26 जनवरी को 400 महिलाएं करेंगी शनि शिंगनापुर मंदिर में प्रवेश
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चार सौ महिलाएं तोड़ेंगी परंपरा
पांच सौ वर्ष पुराने मंदिर के इतिहास में शेटये पहली महिला हैं जो मंदिर ट्रस्ट की प्रमुख बनी हैं और वह पांच वर्षों तक इस पद पर रहेंगी। अन्य 11 न्यासियों में भी एक महिला हैं जिनका नाम वैशाली लांदे है।
पुणे की चार महिलाओं ने चार सौ महिलाओं को एकजुट कर मंदिर परिसर में धावा बोलने और वर्षों पुरानी परम्परा को तोड़ने का निर्णय किया है और इन्हीं विवादों के बीच शेटये की नियुक्ति हुई है।
पिछले वर्ष एक महिला श्रद्धालु ने मंदिर परिसर के प्रतिबंधित क्षेत्र में घुसकर पूजा की थी, जिसके बाद मंदिर ट्रस्ट ने कथित तौर पर शुद्धिकरण अनुष्ठान किया था। इसको लेकर यह मंदिर सुखिर्यों में रहा।
अध्यक्ष चुने जाने के तुरंत बाद शेटये ने संवाददाताओं से कहा कि वह उस परम्परा को जारी रखेगी और चौथारा (मंदिर प्लेटफॉर्म) पर महिलाओं को जाने की अनुमति देने की कोई योजना नहीं है। उल्लेखनीय है कि इस मंदिर में महिलाओं को शनि भगवान की मूर्ति की पूजा और उस पर तेल चढ़ाने की अनुमति नहीं है।
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चार सौ महिलाएं तोड़ेंगी परंपरा
पांच सौ वर्ष पुराने मंदिर के इतिहास में शेटये पहली महिला हैं जो मंदिर ट्रस्ट की प्रमुख बनी हैं और वह पांच वर्षों तक इस पद पर रहेंगी। अन्य 11 न्यासियों में भी एक महिला हैं जिनका नाम वैशाली लांदे है।
पुणे की चार महिलाओं ने चार सौ महिलाओं को एकजुट कर मंदिर परिसर में धावा बोलने और वर्षों पुरानी परम्परा को तोड़ने का निर्णय किया है और इन्हीं विवादों के बीच शेटये की नियुक्ति हुई है।
पिछले वर्ष एक महिला श्रद्धालु ने मंदिर परिसर के प्रतिबंधित क्षेत्र में घुसकर पूजा की थी, जिसके बाद मंदिर ट्रस्ट ने कथित तौर पर शुद्धिकरण अनुष्ठान किया था। इसको लेकर यह मंदिर सुखिर्यों में रहा।
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