First Pradosh Vrat of Sawan Month: इस साल कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं. अगस्त महीने का प्रदोष व्रत 5 अगस्त को है. इसे सावन का पहला प्रदोष व्रत भी कहा जाता है, जो भगवान शिव का समर्पित है.आइए जानते हैं प्रदोष के बारे में, क्या है शुभ मुहूर्त और क्या है महत्व.
क्या है व्रत के नियम
प्रदोष व्रत वैसे तो निर्जला रखा जाता है इसलिए इस व्रत में फलाहार का विशेष महत्व होता है. ये व्रत पूरे दिन का होता है. मान्यता है कि व्रत के दौरान अन्न, नमक, मिर्च आदि का सेवन न करें. व्रत के समय एक बार ही फलाहार ग्रहण कर सकते हैं.
ये है मुहूर्त
- श्रावण, कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ 5 अगस्त की शाम 05 बजकर 09 मिनट पर होगी.
- श्रावण, कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि समाप्त 6 अगस्त की शाम 06 बजकर 28 मिनट पर होगी.
- प्रदोष काल-07 बजकर 09 मिनट से 09 बजकर 16 मिनट पर होगी.
प्रदोष व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भक्त कष्टों को दूर करने और सुखी जीवन जीने के लिए प्रदोष व्रत का पालन करते हैं. प्रदोष व्रत पर, लोग स्वास्थ्य, धन और सौभाग्य के लिए भगवान शिव और देवी पार्वती का आशीर्वाद लेते हैं.
प्रदोष व्रत रखकर भगवान शिव की विधि –विधान से पूजा- अर्चना प्रदोष काल में की जाती है. मान्यता है कि प्रदोष काल में की गई भगवान शिव की पूजा, भक्त की सभी मुरादें पूरी करती है. भक्त के सभी संकट दूर हो जाते हैं.
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