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This Article is From Oct 18, 2018

Dussehra: राम नहीं भारत के इन 6 मंदिरों में होती है रावण की पूजा, दशहरे के दिन मनता है शोक

Dussehra 2018: 19 अक्टूबर को दशहरा या विजयदशमी (Dussehra or Vijayadashami) मनाई जाएगी. इस दिन भगवान राम ने रावण (Ravana) का वध कर सीता को उनके चंगुल से छुड़ा लिया था.

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नई दिल्ली: Dussehra 2018: 19 अक्टूबर को दशहरा या विजयदशमी (Dussehra or Vijayadashami) मनाई जाएगी. इस दिन भगवान राम ने रावण (Ravana) का वध कर सीता को उनके चंगुल से छुड़ा लिया था. बुराई पर अच्छाई की इस जीत का जश्न पूरी दुनिया मनाती है और सीता को उठाने के कारण रावण के पुतले को जलाया जाता है. रावण के इसी कर्म के कारण उनको पूरे विश्व में राक्षस का कहा जाने लगा, लेकिन रावण बहुत बड़े विद्वान थे. वह शिव जी के बहुत बड़े भक्त थे. इसी वजह से भारत में कई जगहों पर उनके नाम के मंदिर हैं जहां रावण को भगवान मानते हैं. यहां जानिए ऐसे ही छह मंदिरों के बारे में जहां रावण की पूजा की जाती है. 

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1. बैजनाथ कस्बा, हिमाचल प्रदेश 
मान्यता है कि यहां पर रावण ने भगवान शिव की वर्षों तक कठोर तपस्या की थी. साथ ही यह भी माना जाता है कि बैजनाथ कस्बे से होकर ही रावण शिवलिंग लेकर लंका के लिए गुज़रे थे. यहां कोई रावण का मंदिर नहीं है, बल्कि कस्बे के साथ मौजूद यह मंदिर टूरिस्टों को अपनी तरफ आकर्षित करता है. यहां रावण के पुतले नहीं जलाए जाते.

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2. दशानन मंदिर, कानपुर, उत्तर प्रदेश
कानपुर के शिवाला क्षेत्र में मौजूद है दशानन मंदिर. साल में सिर्फ एक ही बार दशहरा के दौरान इस मंदिर के द्वार खोले जाते हैं. मंदिर में मौजूद रावण की मूर्ति का श्रृंगार कर आरती उतारी जाती है. सिर्फ इसी एक दिन भक्तों को मंदिर में आने की अनुमति होती है. भारी भीड़ में यहां लोग रावण के दर्शन के लिए आते हैं. लोगों की मान्यता है कि 1890 में बने इस मंदिर में तेल के दिए जलाने से मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. 

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3. मंडोर, जोधपुर, राजस्थान
इस जगह को रावण का ससुराल माना जाता है. यहां रावण की पहली पत्नी मंदोदरी को बेटी मानते हैं. इसके अलावा यहां मौजूद श्रीमाली ब्राह्मण समाज के लोग रावण की कुलदेवी खरानना की पूजा करते हैं और खुद को रावण का वंशज बताते हैं. मंडोर में रावण और मंदोदरी का मंदिर भी है. दशहरे के दिन रावण की मृत्यु और मंदोदरी के विधवा होने की वजह से यहां के लोग विजय दशमी के दिन शोक मनाते हैं. 
 
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4. विदिशा, मध्य प्रदेश
इस जगह को भी मंदोदरी का जन्म स्थान मानते हैं. दशहरे के दिन लोग यहां मौजूद 10 फीट लंबी रावण की प्रतिमा की पूजा करते हैं. इसके साथ ही शादियों जैसे शुभ अवसर पर भी इस मूर्ति का आर्शीवाद लेते हैं. 

5. मंदसौर, मध्य प्रदेश
विदिशा की ही तरह मंदसौर में भी रावण की पूजा की जाती है. इस जगह मौजूद मंदिर को मध्य प्रदेश में बना रावण का पहला मंदिर माना जाता है. यहां रावण रुण्डी नाम से रावण की विशाल मूर्ति भी मौजूद है, जिसकी पूजा की जाती है. महिलाएं इस मूर्ति से सामने से घूंघट करके निकलती हैं. मान्यताओं के अनुसार रावण को मंदसौर का दामाद माना जाता है. मंदोदरी के नाम पर ही इस जगह का नाम मंदसौर पड़ा, 

6. लंकेश्वर महोत्सव (फसल महोत्सव), कोलार, कर्नाटक
यहां लंकेश्वर महोत्सव के दौरान रावण की पूजा के साथ-साथ जुलूस भी निकाला जाता है. जुलूस में रावण के साथ भगवान शिव की मूर्ति को भी घुमाया जाता है. मान्यता है कि रावण के भगवान शिव का परम भक्त होने के चलते यहां रावण की पूजा की जाती है. कोलार के लिए मंडया जिले में मालवल्ली तहसील में रावण का एक मंदिर भी है. 
 
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Lankeshwar Mahotsav, Karnataka

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