Dhanteras 2022 : धनतेरस का पर्व भगवान धन्वंतरि देव को समर्पित है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल धनतेरस 23 अक्टूबर, रविवार को पड़ रहा है. धार्मिक मान्यता के अनुसार धनतेरस के दिन भगवान धन्ंवतरि की पूजा करने से दुख-कष्ट दूर हो जाते हैं. इसके साथ ही आरोग्यता का आशीर्वाद प्राप्त होता है. यही वजह है कि धनतेरस पर विधि-विधान से धन्वंतरि देव की पूजा की जाती है. धनतेरस पर धन्वंतरि देव की पूजा करने से मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की कृपा भी प्राप्त होती है. आइए जानते हैं कि धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा कैसे की जाती है.
धनतेरस 2022 पूजन सामग्री लिस्ट | Dhanteras 2022 Pujan Samagri List
कपूर, केसर, यज्ञोपवीत, कुमकुम, चावल (अक्षत), अबीर-गुलाल, हल्दी, मेहंदी, चूड़ी, काजल, पायजेब, बिछुड़ी, रुई, रोली, सिंदूर, सुपारी, पान का पत्ता, फूल-माला, कमलगट्टे, धनिया खड़ा, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, कुश, दूर्वा, पंच मेवा, गंगाजल, शहद, शक्कर, शुद्ध घी, दही, दूध, फल, नैवेद्य या मिष्ठान, इलायची (छोटी), लौंग, मौली, इत्र, तुलसी, चौकी, आसन, पंच पल्लव (बड़, गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते), औषधि, चांदी सिक्का, वस्त्र, सफेद कपड़ा, लाल कपड़ा, दीपक, श्रीफल (नारियल), धान्य (चावल, गेहूं), लेखनी (कलम), हल्दी की गांठ इत्यादि
धन्वंतरि देव की आरती | Dhanvantari Dev Ki Aarti
ॐ जय धन्वन्तरि देवा, स्वामी जय धन्वन्तरि जी देवा
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए
देवासुर के संकट आकर दूर किए
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा
धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐजय धन्वन्तरि जी देवा
धनतेरस 2022 पूजा विधि | Dhanteras 2022 Puja Vidhi
धनतेरस के दिन घर की सफाई कर सुबह स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र पहन लें. इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेश का आवाहन और पूजन करें. फिर षोडशोपचार विधि से धनवंतरी देव की पूजा करें. इनके साथ-साथ मां लक्षमी की पूजा करें. पूजन के दौरान देवी-देवताओं को फूल, अक्षत, धूप, दीप, भोग अर्पित करें. इसके बाद भगवान धनवंतरी और मां लक्ष्मी की आरती करें और प्रसाद सभी में बांटें. इसके अलावा शाम के समय प्रदोष काल में घर के मुख्य द्वार पर दीया जलाएं और धन्वंतरि देव, मां लक्ष्मी और भगवान गणेश से सुख-समृद्धि की कामना करें.
धन्वंतरि देव के मंत्र | Dhanvantari Dev ke Mantra
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः
ॐ धन्वंतरये नमः
ॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृत कलश हस्ताय सर्व आमय
विनाशनाय त्रिलोक नाथाय श्री महाविष्णुवे नम:
ऊँ रं रूद्र रोगनाशाय धन्वन्तर्ये फट्
ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात्
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात्
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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