Dattatreya Jayanti 2020: कौन हैं भगवान दत्तात्रेय ? क्यों की जाती है उनकी पूजा ?

Dattatreya Jayanti 2020: भगवान दत्तात्रेय की जयंती मार्गशीर्ष माह में मनाई जाती है. दत्तात्रेय में ईश्वर और गुरु दोनों रूप समाहित हैं इसीलिए उन्हें 'परब्रह्ममूर्ति सद्गुरु' और 'श्रीगुरुदेवदत्त' भी कहा जाता हैं.

Dattatreya Jayanti 2020: कौन हैं भगवान दत्तात्रेय ? क्यों की जाती है उनकी पूजा ?

Dattatreya Jayanti 2020: कौन हैं भगवान दत्तात्रेय ? क्यों की जाती है उनकी पूजा ?

Dattatreya Jayanti 2020: भगवान दत्तात्रेय की जयंती मार्गशीर्ष माह में मनाई जाती है. दत्तात्रेय में ईश्वर और गुरु दोनों रूप समाहित हैं इसीलिए उन्हें 'परब्रह्ममूर्ति सद्गुरु' और 'श्रीगुरुदेवदत्त' भी कहा जाता हैं. उन्हें गुरु वंश का प्रथम गुरु, साथक, योगी और वैज्ञानिक माना जाता है. हिंदू मान्यताओं अनुसार, दत्तात्रेय ने पारद से व्योमयान उड्डयन की शक्ति का पता लगाया था और चिकित्सा शास्त्र में क्रांतिकारी अन्वेषण किया था. हिंदू धर्म के त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की प्रचलित विचारधारा के विलय के लिए ही भगवान दत्तात्रेय ने जन्म लिया था,  इसीलिए उन्हें त्रिदेव का स्वरूप भी कहा जाता है. दत्तात्रेय को शैवपंथी शिव का अवतार और वैष्णवपंथी विष्णु का अंशावतार मानते हैं. दत्तात्रेय को नाथ संप्रदाय की नवनाथ परंपरा का भी अग्रज माना है. यह भी मान्यता है कि रसेश्वर संप्रदाय के प्रवर्तक भी दत्तात्रेय थे. भगवान दत्तात्रेय से वेद और तंत्र मार्ग का विलय कर एक ही संप्रदाय निर्मित किया था.

Dattatreya Jayanti 2020: आज है दत्तात्रेय जयंती, जानिए शुभ मुहूर्त और जन्म कथा

शिक्षा और दीक्षा

भगवान दत्तात्रेय ने जीवन में कई लोगों से शिक्षा ली. दत्तात्रेय ने अन्य पशुओं के जीवन और उनके कार्यकलापों से भी शिक्षा ग्रहण की.  दत्तात्रेयजी कहते हैं कि जिससे जितना-जितना गुण मिला है उनको उन गुणों को प्रदाता मानकर उन्हें अपना गुरु माना है, इस प्रकार मेरे 24 गुरु हैं. पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, चंद्रमा, सूर्य, कपोत, अजगर, सिंधु, पतंग, भ्रमर, मधुमक्खी, गज, मृग, मीन, पिंगला, कुररपक्षी, बालक, कुमारी, सर्प, शरकृत, मकड़ी और भृंगी.

ब्रह्माजी के मानसपुत्र महर्षि अत्रि इनके पिता तथा कर्दम ऋषि की कन्या और सांख्यशास्त्र के प्रवक्ता कपिलदेव की बहन सती अनुसूया इनकी माता थीं. श्रीमद्भागवत में महर्षि अत्रि एवं माता अनुसूया के यहां त्रिदेवों के अंश से तीन पुत्रों के जन्म लेने का उल्लेख मिलता है.

पुराणों अनुसार इनके तीन मुख, छह हाथ वाला त्रिदेवमयस्वरूप है. चित्र में इनके पीछे एक गाय तथा इनके आगे चार कुत्ते दिखाई देते हैं. औदुंबर वृक्ष के समीप इनका निवास बताया गया है. विभिन्न मठ, आश्रम और मंदिरों में इनके इसी प्रकार के चित्र का दर्शन होता है.

दत्तात्रेय के शिष्य

उनके प्रमुख तीन शिष्य थे जो तीनों ही राजा थे. दो यौद्धा जाति से थे तो एक असुर जाति से. उनके शिष्यों में भगवान परशुराम का भी नाम लिया जाता है. तीन संप्रदाय (वैष्णव, शैव और शाक्त) के संगम स्थल के रूप में भारतीय राज्य त्रिपुरा में उन्होंने शिक्षा-दीक्षा दी. इस त्रिवेणी के कारण ही प्रतीकस्वरूप उनके तीन मुख दर्शाएं जाते हैं जबकि उनके तीन मुख नहीं थे.

मान्यता अनुसार, दत्तात्रेय ने परशुरामजी को श्रीविद्या-मंत्र प्रदान की थी. यह मान्यता है कि शिवपुत्र कार्तिकेय को दत्तात्रेय ने अनेक विद्याएं दी थी. भक्त प्रह्लाद को अनासक्ति-योग का उपदेश देकर उन्हें श्रेष्ठ राजा बनाने का श्रेय दत्तात्रेय को ही जाता है.

दूसरी ओर मुनि सांकृति को अवधूत मार्ग, कार्तवीर्यार्जुन को तंत्र विद्या एवं नागार्जुन को रसायन विद्या इनकी कृपा से ही प्राप्त हुई थी. गुरु गोरखनाथ को आसन, प्राणायाम, मुद्रा और समाधि-चतुरंग योग का मार्ग भगवान दत्तात्रेय की भक्ति से प्राप्त हुआ.

गुरु पाठ और जाप

दत्तात्रेय का उल्लेख पुराणों में मिलता है. इन पर दो ग्रंथ हैं 'अवतार-चरित्र' और 'गुरुचरित्र', जिन्हें वेदतुल्य माना गया है. इसकी रचना किसने की यह हम नहीं जानते. मार्गशीर्ष 7 से मार्गशीर्ष 14, यानी दत्त जयंती तक दत्त भक्तों द्वारा गुरुचरित्र का पाठ किया जाता है. इसके कुल 52 अध्याय में कुल 7491 पंक्तियां हैं. इसमें श्रीपाद, श्रीवल्लभ और श्रीनरसिंह सरस्वती की अद्भुत लीलाओं व चमत्कारों का वर्णन है.

दत्त पादुका

ऐसी मान्यता है कि दत्तात्रेय नित्य प्रात: काशी में गंगाजी में स्नान करते थे. इसी कारण काशी के मणिकर्णिका घाट की दत्त पादुका दत्त भक्तों के लिए पूजनीय स्थान है. इसके अलावा मुख्य पादुका स्थान कर्नाटक के बेलगाम में स्थित है. देशभर में भगवान दत्तात्रेय को गुरु के रूप में मानकर इनकी पादुका को नमन किया जाता है.

'गुरुचरित्र' का श्रद्धा-भक्ति के साथ पाठ और इसी के साथ दत्त महामंत्र 'श्री दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा' का सामूहिक जप भी किया है. त्रिपुरा रहस्य में दत्त-भार्गव-संवाद के रूप में अध्यात्म के गूढ़ रहस्यों का उपदेश मिलता है.

यह भी पढ़ें-

Gita Jayanti 2020: गीता जयंती के मौके पर अपने WhatsApp और Facebook पर लगाएं ये स्टेटस

Gita Jayanti 2020: आज है गीता जयंती, जानिए क्या है पूजा विधि और महत्‍व

Kaal Bhairav Jayanti 2020 Date: 7 दिसंबर को है काल भैरव अष्टमी, जानें कैसे प्रसन्न होते हैं काल भैरव ?

Guru Nanak Jayanti 2020: आज है गुरु नानक देव जयंती, जानें कैसे बनाते हैं गुरुद्वारे में मिलने वाला कड़ा प्रसाद

Guru Nanak Jayanti 2020: बाबा नानक और नानक शाह के नाम से भी जाने जाते हैं गुरु नानक, जानें इनसे जुड़ी 10 बातें

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com