उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के बांदा जिला मुख्यालय से सटे भूरागढ़ दुर्ग में बुधवार को प्रेमी जोड़ों ने 'नट बली' के मंदिर में खिचड़ी चढ़ाकर मकर संक्रांति मनाई. इस अवसर पर यहां दो द्विवसीय मेला भी लगा. बांदा जिला मुख्याल से सटे भूरागढ़ किले में बना नट बली का मंदिर एक प्रेम कहानी का प्रतीक है. शहर के जाने-माने पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार पाठक ने बताया, "सन 1830 ईस्वी में भूरागढ़ किले में महोबा जिले के सुगिरा गांव के निवासी नोने अर्जुन सिंह किलादार थे. भूरागढ़ से कुछ दूरी पर केन नदी के उस पार सरबई गांव में बसे नट यहां मकर संक्रांति के त्योहार में अपना करतब दिखा रहे थे. जैसे ही बली नामक नट युवक बांस के लट्ठों में बंधी पतली रस्सी पर चलकर नीचे उतरा, किलेदार अर्जुन सिंह की बेटी उससे प्रभावित होकर लिपट गई और शादी की जिद करने लगी."
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पाठक के अनुसार, "बेटी की जिद देख अर्जुन ने शर्त रखी कि यदि नट युवक रस्सी पर चलकर केन नदी पार कर किले तक आ जाए तो वह अपनी बेटी की शादी इसी वक्त नट युवक से कर देगा. बली नामक नट युवक ने वैसा ही किया. पूरी नदी पार कर जब वह किले को छूने ही वाला था कि अर्जुन सिंह ने रांपी (धारदार हथियार) से किले की चोटी में बंधी रस्सी काट दी, जिससे पत्थरों में गिरने से नट युवक की मौत हो गई."
वह बताते हैं, "किलेदार की बेटी अपने पिता की यह हरकत देख हतप्रभ रह गई और उसने भी किले से कूदकर जान दे दी. दोनों की समाधि में मंदिर अगल-बगल बने हैं और तभी से हर साल नट बली के मंदिर पर मकर संक्रांति को मेला लगता चला आया है. यहां प्रेमी जोड़े आते हैं और खिचड़ी का प्रसाद चढ़ाकर अपने प्यार की सलामती की दुआ मांगते हैं."
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं