फाइल फोटो
श्रीनगर:
वेद मंत्रोच्चारण और विशेष पूजा के साथ बुधवार को पहलगाम से पवित्र अमरनाथ गुफा के लिए ‘छड़ी मुबारक’ यात्रा शुरू हुई। वाषिर्क अमरनाथ यात्रा के लिए पहलगाम ही पारंपरिक आाधार शिविर है।
भगवान शिव के त्रिशूल को कहते हैं छड़ी मुबारक...
न्यास के प्रवक्ता ने बताया कि अमरनाथ में भगवान शिव के त्रिशूल को सामान्य तौर पर ‘छड़ी मुबारक’ के नाम से जाना जाता है। महंत दीपेन्द्र गिरि व्यास पूर्णिमा के दिन इस त्रिशूल को उसके पारंपरिक स्थान दशनामी आखाड़ा से पहलगाम लेकर आए।
व्यास पूर्णिमा के दिन शुरू होती है पारंपरिक यात्रा...
छड़ी मुबारक यात्रा के आरंभ पर भूमि पूजन, नवग्रह पूजन, छड़ी पूजन और ध्वजारोहण का आयोजन हुआ। अमरनाथ यात्रा पारंपरिक रूप से व्यास पूर्णिमा के दिन ही शुरू होती है।
अब तक 1.82 लाख यात्रियों ने किए गुफा मंदिर में दर्शन...
इस वर्ष यात्रा शुरू होने से लेकर कल रात तक 1,82,768 यात्रियों ने पवित्र गुफा मंदिर में दर्शन किए हैं। गौरतलब है कि दो जुलाई को शुरू हुई यह 48 दिवसीय यात्रा 17 अगस्त को समाप्त होगी।
भगवान शिव के त्रिशूल को कहते हैं छड़ी मुबारक...
न्यास के प्रवक्ता ने बताया कि अमरनाथ में भगवान शिव के त्रिशूल को सामान्य तौर पर ‘छड़ी मुबारक’ के नाम से जाना जाता है। महंत दीपेन्द्र गिरि व्यास पूर्णिमा के दिन इस त्रिशूल को उसके पारंपरिक स्थान दशनामी आखाड़ा से पहलगाम लेकर आए।
व्यास पूर्णिमा के दिन शुरू होती है पारंपरिक यात्रा...
छड़ी मुबारक यात्रा के आरंभ पर भूमि पूजन, नवग्रह पूजन, छड़ी पूजन और ध्वजारोहण का आयोजन हुआ। अमरनाथ यात्रा पारंपरिक रूप से व्यास पूर्णिमा के दिन ही शुरू होती है।
अब तक 1.82 लाख यात्रियों ने किए गुफा मंदिर में दर्शन...
इस वर्ष यात्रा शुरू होने से लेकर कल रात तक 1,82,768 यात्रियों ने पवित्र गुफा मंदिर में दर्शन किए हैं। गौरतलब है कि दो जुलाई को शुरू हुई यह 48 दिवसीय यात्रा 17 अगस्त को समाप्त होगी।
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