साल 2019 का पहला चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse 2019) आज है. भारतीय समय के मुताबिक इसकी शुरुआत सुबह 10 बजकर 11 मिनट से होनी है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक चंद्रग्रहण का प्रभाव राशियों के हिसाब से अलग-अलग पड़ता है जिनका दुष्प्रभाव भी पड़ता है. जिनका असर मानवीय जीवन भी पड़ता है. ज्योतिष मान्यताओं के मुताबिक इन बुरे प्रभावों से बचने के लिए मंत्र भी होते हैं. जिनका जाप करने से कोई असर नहीं पड़ता है. वहीं वैज्ञानिकों की मानें तो चंद्रग्रहण का किसी पर कोई बुरा असर पड़ने जैसी बातों को नकार देती हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक जब सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती हुई पृथ्वी एक सीध में अपने उपग्रह चंद्रमा तथा सूर्य के बीच आ जाती है, तो चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की किरणें रुक जाती हैं, और पृथ्वी की प्रच्छाया उस पर पड़ने लगती है, जिससे उसका दिखना बंद हो जाता है. इसी खगोलीय घटना को चंद्रग्रहण कहा जाता है.
क्या होता है ग्रहण? सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण में क्या है अंतर
क्या कहती है पौराणिक कथा?
एक पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और दानवों के बीच अमृत के लिए घमासान चला. इस मंथन में अमृत देवताओं को मिला लेकिन असुरों ने उसे छीन लिया. अमृत को वापस लाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की सुंदर कन्या का रूप धारण किया और असुरों से अमृत ले लिया. जब वह उस अमृत को लेकर देवताओं के पास पहुंचे और उन्हें पिलाने लगे तो राहु नामक असुर भी देवताओं के बीच जाकर अमृत पीने बैठ गया. जैसे ही वो अमृत पीकर हटा, भगवान सूर्य और चंद्रमा को भनक हो गई कि वह असुर है. तुरंत उससे अमृत छीन लिया गया और विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से उसकी गर्दन धड़ से अलग कर दी. क्योंकि वो अमृत पी चुका था इसीलिए वह मरा नहीं. उसका सिर और धड़ राहु और केतु नाम के ग्रह पर गिरकर स्थापित हो गए. ऐसी मान्यता है कि इसी घटना के कारण सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगता है, इसी वजह से उनकी चमक कुछ देर के लिए चली जाती है.
Chandra Grahan 2019: साल का पहला चंद्र ग्रहण, दुष्प्रभावों से बचने के लिए 6 मान्यताएं
क्या कहती हैं धार्मिक मान्यताएं
ज्योतिष शास्त्रियों का कहना है कि चंद्र ग्रहण क प्रभाव 108 दिनों तक रहता है, इसीलिए यह बहुत जरूरी है कि चंद्र ग्रहण के दौरान जाप किया जाए. इस दौरान 'ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम:' या 'ॐ सों सोमाय नम:' का जाप करना शुभ होता है. माना जाता है कि इस वैदिक मंत्र का जाप जितनी श्रद्धा से किया जाएगा यह उतना ही फलदायक होगा. ग्रहण के दौरान दुर्गा सप्तशती कवच मंत्र का पाठ करना चाहिए. जो इस प्रकार है- ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै. मान्यताओं के मुताबिक ग्रहण के दौरान पूरी तन्मयता और संयम से मंत्र जाप करने से विशेष लाभ मिलता है. इस दौरान अर्जित किया गया पुण्य अक्षय होता है. कहा जाता है इस दौरान किया गया जाप और दान, सालभर में किए गए दान और जाप के बराबर होता है.
एक सीध में सूर्य, चंद्र और पृथ्वी
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