2018 के पहले चंद्र ग्रहण के बारे में जानें सबकुछ
नई दिल्ली:
आज रात चांद 30 फीसदी ज़्यादा चमकीला दिखेगा. आज चंद्र ग्रहण के दौरान ऐसी स्थिति आएगी जब सुपर मून और ब्लू मून साथ दिखाई देगा. इस आकाशीय घटना को सुपर ब्लू ब्लड मून कहा जाता है. यह दुर्लभ संयोग 152 साल बाद बन रहा है. आज पूर्ण चंद्र ग्रहण शाम 06:21 से 07:38 तक होगा. यह पूर्ण चंद्र ग्रहण 77 मिनट तक रहेगा. वहीं, सूतक काल सुबह 07 बजकर 07 मिनट पर शुरू होकर रात 08 बजकर 41 मिनट पर खत्म होगा.
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ज्योतिषों और पंडितों के अनुसार यह माना जाता है कि इस कुछ काम नहीं करने चाहिए. आज यहां आपको पूरी लिस्ट दी जा रही है इस दिन क्या करें और क्या नहीं. लेकिन उससे पहले यहां समझे कि ग्रहण क्या होता है खासकर चंद्र ग्रहण और कैसे हुई इसकी शुरूआत.
आपको बता दें कि इस साल पांच ग्रहण होंगे, जिसमें से 3 सूर्य ग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण हैं. आज साल 2018 का पहला चंद्र ग्रहण है.
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क्या है चंद ग्रहण?
जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है तब वह चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों को रोकती है और उसमें अपनी छाया बनाती है. इस घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है. इसे ब्लड मून भी कहा जाता है.
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क्या होता है ग्रहण?
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और दानवों के बीच अमृत के लिए घमासान चल रहा था. इस मंथन में अमृत देवताओं को मिला लेकिन असुरों ने उसे छीन लिया. अमृत को वापस लाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की सुंदर कन्या का रूप धारण किया और असुरों से अमृत ले लिया. जब वह उस अमृत को लेकर देवताओं के पास पहुंचे और उन्हें पिलाने लगे तो राहु नामक असुर भी देवताओं के बीच जाकर अमृत पीने के लिए बैठ गया. जैसे ही वो अमृत पीकर हटा, भगवान सूर्य और चंद्रमा को भनक हो गई कि वह असुर है. तुरंत उससे अमृत छिना गया और विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से उसकी गर्दन धड़ से अलग कर दी.
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क्योंकि वो अमृत पी चुका था इसीलिए वह मरा नहीं. उसका सिर और धड़ राहु और केतु नाम के ग्रह पर गिरकर स्थापित हो गए. ऐसी मान्यता है कि इसी घटना के कारण सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगता है, इसी वजह से उनकी चमक कुछ देर के लिए चली जाती है. वहीं, इसके साथ यह भी माना जाता है कि जिन लोगों की राशि में सूर्य और चंद्रमा मौजूद होते हैं उनके लिए यह ग्रहण बुरा प्रभाव डालता है.
वहीं, विज्ञान के अनुसार यह एक प्रकार की खगोलीय स्थिति है. जिनमें चंद्रमा, पृथ्वी और पृथ्वी तीनों एक ही सीधी रेखा में आ जाते हैं. इससे चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया से होकर गुजरता है, जिस वजह से उसकी रोशनी फिकी पड़ जाती है.
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इसके विपरित ग्रहण के दौरान दान करने को कहा जाता है कि आटा, चावल, चीनी और दाल आदि दान दें. ग्रहण के बुरे प्रभाव से बचने के लिए दुर्गा चालीसा या श्रीमदभागवत गीता आदि का पाठ भी करें और जो लोग साढ़े-साती से परेशान हो तो शनि मंत्र का जाप करें या फिर हनुमान चालीसा पढ़ें.
देखें वीडियो - एक सीध में सूर्य, चंद्र और पृथ्वी
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ज्योतिषों और पंडितों के अनुसार यह माना जाता है कि इस कुछ काम नहीं करने चाहिए. आज यहां आपको पूरी लिस्ट दी जा रही है इस दिन क्या करें और क्या नहीं. लेकिन उससे पहले यहां समझे कि ग्रहण क्या होता है खासकर चंद्र ग्रहण और कैसे हुई इसकी शुरूआत.
आपको बता दें कि इस साल पांच ग्रहण होंगे, जिसमें से 3 सूर्य ग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण हैं. आज साल 2018 का पहला चंद्र ग्रहण है.
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क्या है चंद ग्रहण?
जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है तब वह चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों को रोकती है और उसमें अपनी छाया बनाती है. इस घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है. इसे ब्लड मून भी कहा जाता है.
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क्या होता है ग्रहण?
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और दानवों के बीच अमृत के लिए घमासान चल रहा था. इस मंथन में अमृत देवताओं को मिला लेकिन असुरों ने उसे छीन लिया. अमृत को वापस लाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की सुंदर कन्या का रूप धारण किया और असुरों से अमृत ले लिया. जब वह उस अमृत को लेकर देवताओं के पास पहुंचे और उन्हें पिलाने लगे तो राहु नामक असुर भी देवताओं के बीच जाकर अमृत पीने के लिए बैठ गया. जैसे ही वो अमृत पीकर हटा, भगवान सूर्य और चंद्रमा को भनक हो गई कि वह असुर है. तुरंत उससे अमृत छिना गया और विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से उसकी गर्दन धड़ से अलग कर दी.
कौन थे लाफिंग बुद्धा? क्या है इनकी हंसी का राज
क्योंकि वो अमृत पी चुका था इसीलिए वह मरा नहीं. उसका सिर और धड़ राहु और केतु नाम के ग्रह पर गिरकर स्थापित हो गए. ऐसी मान्यता है कि इसी घटना के कारण सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगता है, इसी वजह से उनकी चमक कुछ देर के लिए चली जाती है. वहीं, इसके साथ यह भी माना जाता है कि जिन लोगों की राशि में सूर्य और चंद्रमा मौजूद होते हैं उनके लिए यह ग्रहण बुरा प्रभाव डालता है.
चंद ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या नहीं
ज्योतिषों और पंडितों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि ग्रहण के वक्त खुले आकाश में ना निकलें, खासकर प्रेग्नेंट महिलाएं, बुजुर्ग, रोगी और बच्चे. ग्रहण से पहले या बाद में ही खाना खाएं. इसके साथ ही किसी भी तरह का शुभ कार्य ना करें और पूजा भी ना करें. इसी वजह से ग्रहण के दौरान मंदिर के द्वार भी बंद कर दिए जाते हैं.Chandra Grahan 2018: चांद का दीदार करते समय इन बातों का रखें ध्यान
इसके विपरित ग्रहण के दौरान दान करने को कहा जाता है कि आटा, चावल, चीनी और दाल आदि दान दें. ग्रहण के बुरे प्रभाव से बचने के लिए दुर्गा चालीसा या श्रीमदभागवत गीता आदि का पाठ भी करें और जो लोग साढ़े-साती से परेशान हो तो शनि मंत्र का जाप करें या फिर हनुमान चालीसा पढ़ें.
देखें वीडियो - एक सीध में सूर्य, चंद्र और पृथ्वी
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