चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन पूजे मां महागौरी को...
नई दिल्ली:
नवरात्रि के आठवें दिन मां के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है. शंख और चन्द्र के समान अत्यंत श्वेत वर्ण धारी महागौरी मां दुर्गा का आठवां स्वरुप हैं. यह भगवान शिवजी की अर्धांगिनी हैं. कठोर तपस्या के बाद देवी ने शिवजी को अपने पति के रुप में प्राप्त किया था.
चैत्र नवरात्रि को क्यों कहते हैं 'राम नवरात्रि', जानें क्या है इसका महत्व
महागौरी की अराधना से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं तथा भक्त जीवन में पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी बनता है. नवरात्रि के नौ दिनों तक कुंवारी कन्याओं को भोजन करवाने का विधान है लेकिन अष्टमी के दिन का विशेष महत्व है. इस दिन मां को चुनरी भेट करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
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मां दुर्गा का आठवां रुप महागौरी व्यक्ति के भीतर पल रहे कुत्सित और मलिन विचारों को समाप्त कर प्रज्ञा और ज्ञान की ज्योति जलाता है. मां का ध्यान करने से व्यक्ति को आत्मिक ज्ञान की अनुभूति होती है उसके भीतर श्रद्धा विश्वास व निष्ठ की भावना बढ़ाता है. मां दुर्गा की अष्टम शक्ति है महागौरी जिसकी आराधना से उसके भक्तों को जीवन के सही राह का ज्ञान होता है जिस पर चलकर वह अपने जीवन का सार्थक बना सकता है.
Navratri 2018: चैत्र नवरात्रि में 9 दिनों में पूजी जाने वाली सभी माताओं के नाम और उनका महत्व
भगवान शिव की प्राप्ति के लिए इन्होंने कठोर पूजा की थी, जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था. देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने इन्हें स्वीकार किया और गंगा जल की धार जैसे ही देवी पर पड़ी देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो गईं और उन्हें मां गौरी नाम मिला.
माना जाता है कि माता सीता ने श्रीराम की प्राप्ति के लिए महागौरी की पूजा की थी और इनकी पूजा करने से शादी-विवाह के कार्यों में आ रही बाधा खत्म हो जाती है. कहा जाता है कि विवाह संबंधी तमाम बाधाओं के निवारण में इनकी पूजा अचूक होती है.
चैत्र नवरात्रि में किन माताओं की होती है पूजा
चैत्र नवरात्रि चल रहे हैं. यह 18 मार्च से 26 मार्च तक चलेंगे. इन पूरे नौ दिनों में हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होगी. यह हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है, इसीलिए यह पूरे भारत वर्ष और कुछ जगह विदेशों में यह बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. माता की पूजा के अलावा चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन को राम जी के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है. इसे राम नवमी भी बोलते हैं. चैत्र नवरात्रि को राम नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. इसी के साथ यह नवरात्रि वसंत के बाद गर्मियों की शुरुआत मानी जाती है. नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा की गई. दूसरे दिन ब्रह्मचारिणीकी, तीसरे दिन चंद्रघंटा माता को पूजा गया, चौथे दिन कूष्माण्डा माता, पांचवे दिन स्कंदमाता, छठवें दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि और आज आठवें दिन महागौरी को पूजा जाएगा. वहीं, नौवें दिन सिद्धिदात्री को पूजा जाता है. इसी के साथ नौवें दिन राम जी की पूजा भी करते हैं, जिसे रामनवमी कहते हैं.
मां महागौरी का मंत्र
श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दघान्महादेवप्रमोददा।।
एक दिन है अष्टमी और नवमी तिथि
चैत्र नवरात्र की अष्टमी और नवमी तिथि एक दिन यानि 4 अप्रैल को है. सुबह 10:10 बजे अष्टमी तिथि के खत्म होने के बाद नवमी तिथि आरंभ हो जाएगी. दोनों तिथियां एक साथ होने से मां के आठवें और नौवें स्वरूप की पूजा भी एक साथ ही किया जाना चाहिए. इसके साथ ही भगवना श्रीराम की जन्मतिथि भी इसी दिन है, तो इसके साथ राम नवमी भी मनाई जाएगी.
देखें वीडियो - देशभर में नवरात्रि के अवसर मंदिरों में रौनक
चैत्र नवरात्रि को क्यों कहते हैं 'राम नवरात्रि', जानें क्या है इसका महत्व
महागौरी की अराधना से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं तथा भक्त जीवन में पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी बनता है. नवरात्रि के नौ दिनों तक कुंवारी कन्याओं को भोजन करवाने का विधान है लेकिन अष्टमी के दिन का विशेष महत्व है. इस दिन मां को चुनरी भेट करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
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मां दुर्गा का आठवां रुप महागौरी व्यक्ति के भीतर पल रहे कुत्सित और मलिन विचारों को समाप्त कर प्रज्ञा और ज्ञान की ज्योति जलाता है. मां का ध्यान करने से व्यक्ति को आत्मिक ज्ञान की अनुभूति होती है उसके भीतर श्रद्धा विश्वास व निष्ठ की भावना बढ़ाता है. मां दुर्गा की अष्टम शक्ति है महागौरी जिसकी आराधना से उसके भक्तों को जीवन के सही राह का ज्ञान होता है जिस पर चलकर वह अपने जीवन का सार्थक बना सकता है.
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भगवान शिव की प्राप्ति के लिए इन्होंने कठोर पूजा की थी, जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था. देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने इन्हें स्वीकार किया और गंगा जल की धार जैसे ही देवी पर पड़ी देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो गईं और उन्हें मां गौरी नाम मिला.
माना जाता है कि माता सीता ने श्रीराम की प्राप्ति के लिए महागौरी की पूजा की थी और इनकी पूजा करने से शादी-विवाह के कार्यों में आ रही बाधा खत्म हो जाती है. कहा जाता है कि विवाह संबंधी तमाम बाधाओं के निवारण में इनकी पूजा अचूक होती है.
चैत्र नवरात्रि में किन माताओं की होती है पूजा
चैत्र नवरात्रि चल रहे हैं. यह 18 मार्च से 26 मार्च तक चलेंगे. इन पूरे नौ दिनों में हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होगी. यह हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है, इसीलिए यह पूरे भारत वर्ष और कुछ जगह विदेशों में यह बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. माता की पूजा के अलावा चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन को राम जी के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है. इसे राम नवमी भी बोलते हैं. चैत्र नवरात्रि को राम नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. इसी के साथ यह नवरात्रि वसंत के बाद गर्मियों की शुरुआत मानी जाती है. नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा की गई. दूसरे दिन ब्रह्मचारिणीकी, तीसरे दिन चंद्रघंटा माता को पूजा गया, चौथे दिन कूष्माण्डा माता, पांचवे दिन स्कंदमाता, छठवें दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि और आज आठवें दिन महागौरी को पूजा जाएगा. वहीं, नौवें दिन सिद्धिदात्री को पूजा जाता है. इसी के साथ नौवें दिन राम जी की पूजा भी करते हैं, जिसे रामनवमी कहते हैं.
मां महागौरी का मंत्र
श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दघान्महादेवप्रमोददा।।
एक दिन है अष्टमी और नवमी तिथि
चैत्र नवरात्र की अष्टमी और नवमी तिथि एक दिन यानि 4 अप्रैल को है. सुबह 10:10 बजे अष्टमी तिथि के खत्म होने के बाद नवमी तिथि आरंभ हो जाएगी. दोनों तिथियां एक साथ होने से मां के आठवें और नौवें स्वरूप की पूजा भी एक साथ ही किया जाना चाहिए. इसके साथ ही भगवना श्रीराम की जन्मतिथि भी इसी दिन है, तो इसके साथ राम नवमी भी मनाई जाएगी.
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