Chaitra Navratri Ghat Sthapna: चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) के नौ दिनों में शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है. इस दौरान भक्त आदि शक्ति की आराधना कर उनको प्रसन्न करने का जतन करते हैं. मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से नवरात्रि में मां की पूजा करता है उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. नवरात्रि (Navratri) के पहले दिन घट स्थापना (Ghat Sthapna) कर इस महापर्व की शुरुआत की जाती है. कलश स्थापना (Kalash Sthapna) करते वक्त वैदिक नियमों का पालन करना अनिवार्य माना गया है. साथ ही इस दौरान कुछ विशेष सावधानियां भी बरतनी चाहिए. आपको बता दें कि साल में दो बार नवरात्रि आती हैं, जिन्हें चैत्र और शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है. चैत्र नवरात्रि के साथ हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत होती है, वहीं शारदीय नवरात्र अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है. इन दोनों ही नवरात्रों की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है.
घट स्थापना का महत्व
नवरात्रि में कलश या घट स्थापना का विशेष महत्व है. कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है. नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है. घट स्थापना शक्ति की देवी का आह्वान है. मान्यता है कि गलत समय में घट स्थापना करने से देवी मां क्रोधित हो सकती हैं. रात के समय और अमावस्या के दिन घट स्थापित करने की मनाही है. घट स्थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है. अगर किसी कारण वश आप उस समय कलश स्थापित न कर पाएं तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्थापित कर सकते हैं. प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है.
घट स्थापना कब करें
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है. इस बार पहली नवरात्रि 25 मार्च 2020 को है और इसी दिन घट स्थापना की जाएगी.
घट स्थापना की तिथि और शुभ मुहूर्त
घट स्थापना की तिथि: 25 मार्च 2020
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 24 मार्च 2020 को दोपहर 2 बजकर 57 मिनट से
प्रतिपदा तिथि समाप्त: 25 मार्च 2020 को शाम 5 बजकर 26 मिनट तक
घट स्थापना मुहूर्त: 25 मार्च 2020 को सुबह 6 बजकर 19 मिनट से सुबह 7 बजकर 17 मिनट तक
कुल अवधि: 58 मिनट
कलश स्थापना की सामग्री
मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें. इसके अलावा कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए.
कलश स्थापना कैसे करें?
- नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें.
- मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं.
- कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं.
- अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं. लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें.
- अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं. फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें.
- इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं.
- अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें. फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें.
- अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं.
- कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है.
- आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं.
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