बिल्ली का रास्ता काटना कई लोग अशुभ मानते हैं. आपने देखा होगा कि अगर बिल्ली सामने से गुजर जाए तो कई लोग रुक जाते हैं. किसी कोई और के रास्ता पार करने के बाद खुद निकलते हैं. जिन लोगों को जाने की जल्दी होती है वो बिल्ली का रास्ता काटने के बाद या तो अपने जूतों को आगे फेंकते हैं या फिर रास्ता बदल लेते हैं. वहीं, कई लोग रास्ता पार करने से पहले थूकते हैं और भगवान का नाम लेकर आगे बढ़ जाते हैं. कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यो है? विदेशों में जहां बिल्लियों को घरों में पाला जाता है उसी जानवर को भारत में कुछ लोग अशुभ मानते हैं. यहां जानें आखिर क्या है इसका सच.
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बिल्ली से जुड़ी किन चीजों को मानते हैं अशुभ?
मान्यताओं के अनुसार बिल्ली घरों में नकारात्मक ऊर्जा लाती है. इसे घर में पालना अशुभ माना जाता है. इसीलिए बिल्लियों से जुड़े कई भ्रम लोगों के बीच फैले हुए हैं, जैसे बिल्ली बाईं से दाईं ओर जाए तो इसे अशुभ संकेत मानते हैं. वहीं, अगर दाईं से बाईं ओर निकले तो इसे शुभ संकेत मानते हैं. बिल्ली के रोने को भी अशुभ माना जाता है. बिल्ली अगर घर में रखें खाने को झूठा करे तो उसे फेंका जाता है. इसके अलावा बिल्ली अगर सोते हुए माथे या पैरों को चाटे तो इसे किसी मामले में फंसने से जोड़ा जाता है. ऐसी तमाम तरह की भ्रांतियां लोगों के बीच फैली हुई हैं. नीचे जानें सिर्फ भारत में नहीं बल्कि विदेशों में भी है इससे जुड़ा अंधविश्वास.
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विदेशों में भी है यह अंधविश्वास
मध्य युग में यह माना जाता था कि बिल्लियां चुड़ैलों की सहायक होती हैं, और अमेरिका में आज भी लोग मानते हैं कि बिल्लियां दुर्भाग्य लाती हैं. लेकिन ब्रिटेन और आयरलैंड में काली बिल्ली को शुभ माना जाता है. वहीं, जर्मनी में भी बिल्लियों का बाईं से दाईं ओर रास्ता काटना अच्छा मानते हैं. इसके अलावा यह भी मान्यता है कि अगर बिल्ली आपकी तरफ आए तो वह अच्छा भाग्य लाती है, इससे उलट ये आपके सामने दूर जाए तो इसका अर्थ होता है कि यह आपका अच्छा समय ले जा रही है. ऐसे ही स्कॉटलैंड में भी अंधविश्वास है कि अगर कोई अंजान बिल्ली घर पर आए तो इससे भविष्य में सफलता मिलती है. लेकिन यूरोप के कई हिस्सो में काली बिल्ली को अपशगुन माना जाता है. नीचे जानें आखिर कब और कैसे बिल्लियों को बैड लक से जोड़ा जाने लगा.
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बिल्ली से जुड़े अंधविश्वास की शुरुआत कहां से हुई?
सन वेबसाइट के मुताबिक प्राचीन मिस्र में, देवी बास्तेट से जुड़े होने के कारण बिल्लियों की पूजा की जाती थी, मान्यता थी कि इससे उनके घरों की रक्षा होती है. इस देवी को शेरनी के सिर के साथ चित्रित किया गया था, लेकिन पहली सहस्राब्दी के दौरान लोगों द्वारा बिल्ली की एक प्रजाति 'मोगीज़' को पालने के कारण शेर की जगह इस काली बिल्ली को चित्रित किया जाने लगा. हालांकि, कई पश्चिमी संस्कृतियों में काले रंग को चुड़ैलों, दानवों और शैतानों से जोड़कर देखा जाता है. कई लोगों का मानना है कि अमेरिका में बसने वाले तीर्थयात्रियों द्वारा काली बिल्लियों को अपशगुन माना गया, तो कई लोग इसे राक्षसों से जोड़कर ही देखते हैं. नैतिकतावादियों ने भी इन काली बिल्लियों को राक्षसी के तौर पर देखा. वहीं, अंग्रेजी राजकुमार चार्ल्स प्रथम का यह मानना था कि उनकी काली बिल्ली उनके लिए सौभाग्य का स्रोत बनी, लेकिन उनकी बिल्ली के मरने के बाद वह अरेस्ट हुए और उन पर राज-द्रोह का आरोप लगा.
देखें वीडियो - ट्रैडमिल पर बिल्ली की अजब-गजब एक्सरसाइज
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