Shanishchari Amavasya 2022: भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि (Amavasya Date) को शनिवार का संयोग बन रहा है. ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के अनुसार, भाद्रपद मास की यह अमावस्या शनिश्चरी या शनि अमावस्या (Shani Amavasya) कहलाएगी. शास्त्रों में पितृ पक्ष से पहले पड़ने वाली अमावस्या का विशेष महत्व है. इस दिन पूर्वजों के निमित्त तर्पण और पिंडदान करने पितृ देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस साल भाद्रपद की अमावस्या 27 अगस्त को पड़ रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि 26 अगस्त को दोपहर12 बजक 24 मिनट से शुरू होकर 27 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 47 मिनट तक रहेगा. ज्योतिष के जानकार बता रहे हैं कि अमावस्या और शनिवार का खास संयोग बहुत कम बनता है. भादौ मास में शनि अमावस्या का यह संयोग 14 साल बाद बना है. यह संयोग शनि दोष की शांति (Shani Dosh Upay) के लिए भी खास माना जा रहा है. आइए जानते हैं शनि अमावस्या के बारे में.
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि देव इस वक्त मकर राशि में वक्री होकर विराजमान हैं. वहीं मकर, कुंभ और धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है, जबकि तुला और मिथुन राशि शनि की ढैय्या से पीड़ित हैं. ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि इस शनि अमावस्या पर साढ़ेसाती और ढैय्या से पीड़ित जातक कुछ उपाय करके राहत पा सकते हैं.
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शनि अमावस्या पर क्या करें | What to do on Shani Amavasya
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जो लोग शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के पीड़ित हैं, उन्हें शनि अमावस्या के दिन शनि देव को सरसों के तेल का दीया अर्पित करना अच्छा रहेगा. इसके साथ ही काले तिल शनि देव को चढ़ा सकते हैं. इसके अलावा शनि देव को काली उड़द या इससे बने प्रसाद लोगों में बांटे तो और अच्छा होगा.
शनि की पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए शनि अमावस्या के दिन छाया दान करना अच्छा रहेगा. छाया दान करने के लिए किसी बर्तन में सरसों का तेल डालकर उसमें एक सिक्का डाल दें. इसके बाद उसमें अपनी परछाई देखें. इतना करने के बाद तेल सहित उस बर्तन को किसी जरुरतमंद को दान कर दें. इसके अलावा पीपल के पेड़ के नीचे दीया जलाएं. साथ ही शनि देव से प्रार्थना करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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