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This Article is From Feb 05, 2022

Basant Panchami 2022:  भारत ही नहीं, बल्कि इन देशों में भी होती है ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा

बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. बता दें कि मां सरस्वती की पूजा भारत में ही नहीं, बल्कि कई देशों में की जाती है. आज हम आपको बताएंगे कि ज्ञान और कला की देवी किन-किन देशों में पूजी जाती हैं.

Basant Panchami 2022:  भारत ही नहीं, बल्कि इन देशों में भी होती है ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा
Basant Panchami 2022:  जानिए किन-किन देशों में होती है मां सरस्वती की आराधना
नई दिल्ली:

हिंदू धर्म में बसंत पंचमी (Basant Panchami 2022) का विशेष महत्व है, जो इस माह 05 फरवरी, शनिवार के दिन मनाई जाएगी. मां सरस्वती को ज्ञान, विद्या, वाणी, संगीत और कला की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती कमल पर विराजमान होकर हाथ में वीणा लेकर और पुस्तक धारण करके प्रकट हुई थीं. वाग्देवी, भारती, शारदा  (Maa Sahrde Puja) आदि नामों से पूजित इस देवी के बारे में कहा जाता है, ये मूर्ख को भी विद्वान् बना सकती हैं. मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा-अर्चना (Maa Saraswati Puja) करने से व्यक्ति के ज्ञान में बढ़ोत्तरी होती है. इस दिन देवी को पीले रंग (Yellow Color) के वस्त्र, पीले पुष्प, पीला भोग, गुलाल, अक्षत, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित किए जाते हैं.

धर्मग्रंथों और पुराणों में इनके रूप-रंग को शुक्लवर्णा और श्वेत वस्त्रधारिणी बताया गया है, जो वीणावादन के लिए तत्पर और श्वेत कमल पुष्प आसीन रहती हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मां सरस्वती की पूजा भारत में ही नहीं, बल्कि कई देशों में की जाती है. आज हम आपको बताएंगे कि ज्ञान और कला की देवी किन-किन देशों में पूजी जाती हैं.

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भारत के अलावा इन देशों में होती देवी की आराधना

  • नेपाल.
  • इण्डोनेशिया.
  • बर्मा (म्यांमार).
  • चीन.
  • थाइलैंड.
  • जापान.
  • जर्मनी.
  • फ्रांस.
  • स्पेन.
  • इंगलैंड.
  • बेल्जियम.
  • ऑस्ट्रिया.
  • यूरोपीय देश.
  • ग्रीस.

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देवी सरस्वती की आराधना केवल भारत और नेपाल में ही नहीं, बल्कि कई देशों में भी होती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मां सरस्वती को बर्मा (म्यांमार) में थुयथदी, सूरस्सती और तिपिटक मेदा (Tipitaka Medaw) के रूप में पूजा जाता है. वहीं, चीन में देवी सरस्वती की बियानचाइत्यान (Bianchaitian) नाम से आराधना की जाती है. इसी तरह जापान में बेंजाइतेन (Benzaiten) और थाइलैण्ड में सुरसवदी (Surasawadee) के रूप से देवी की उपासन की जाती है.

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बता दें कि जापान की लोकप्रिय देवी बेंजाइतेन (Benzaiten) को हिंदू देवी सरस्वती का जापानी संस्करण कहा जाता है. इस देवी के नाम पर जापान में कई मंदिर हैं. ऋग्वेद (Rigveda) में उल्लेख है कि माता सरस्वती ज्ञान, कला और संगीत की देवी हैं, उनका वाहन राजहंस है और वह कमल के फूल (Lotus Flower) पर विराजमान होती हैं. वहीं, जापान में इसी तरह जल, समय, शब्द, भाषण, वाक्पटुता, संगीत और ज्ञान (यानी जो कुछ प्रवाहित है) की एक देवी मानी जाती हैं, जिन्हें बेंजाइतेन (Benzaiten) नाम से पुकारा जाता है. यह देवी भी कमल के फूल पर विराजती हैं और इनके आसपास कुछ ड्रैगन (Dragons) वाहन के तौर पर दर्शाए जाते हैं. जापान के हिरोशिमा में इत्सुकुशुमा मंदिर, कानागावा में इनोशिमा मंदिर और शिंगा में होगोन-जी मंदिर के साथ ही ओसाका में भी देवी बेंज़ाइतेन के बड़े और अहम मंदिर हैं.

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इसी क्रम में जर्मनी में देवी को ज्ञान, सदाचार और आत्मनियंत्रण की देवी माना गया है. वहीं फ्रांस, स्पेन, इंगलैंड, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया सहित कई यूरोपीय देशों में ज्ञान और शिल्प की देवी के रूप में मिनर्वा का स्मरण किया जाता है. इसके अलावा मां सरस्वती को संगीत, चिकित्सा शास्त्र और गणित सहित रोजमर्रा के कार्यो में निपुणता की देवी भी माना गया है. प्राचीन ग्रीस में एथेंस शहर की संरक्षक देवी एथेना को ज्ञान, कला, साहस, प्रेरणा, सभ्यता, कानून-न्याय, गणित, जीत की देवी माना गया.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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