उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित विश्व प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham) के कपाट छह माह के शीतकालीन अवकाश के बाद शुक्रवार तड़के साढ़े चार बजे खोल दिए गए.
मंदिर के कपाट ब्रह्म मुहूर्त में धनिष्ठा नक्षत्र में खोले गए, लेकिन हर वर्ष कपाट खुलने के दौरान श्रद्धालुओं से भरा रहने वाला मंदिर का प्रांगण इस बार कोरोनावायरस (Coronavirus) वैश्विक महामारी के कारण खाली रहा और मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी समेत चुनिंदा 11 व्यक्ति ही मौजूद रहे. इस दौरान सामाजिक दूरी और मास्क पहनने जैसी सभी जरूरी एहतियाती कदम भी उठाये गए. इस बार सेना के बैंड की सुमधुर ध्वनि और भजन मंडलियों की स्वर लहरियां भी नहीं सुनाई दीं.
मंदिर को 10 क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया था जो बिजली की रोशनी से जगमग होकर अनूठी आभा बिखेर रहा था. कपाट खुलने के बाद वेद मंत्रों की ध्वनियों से पूरी बद्रीशपुरी गुंजायमान हो गई.
इस वर्ष कोरोनावायरस महामारी के कहर का प्रभाव उत्तराखंड के चार धामों पर भी पड़ा है. बद्रीनाथ के कपाट खोल दिए गए हैं लेकिन आश्रम, दुकानें, छोटे-बड़े होटल, रेस्तरां और ढाबे बंद हैं.
बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले जाने की तिथि भी इस बार कोरोनावायरस के कारण 15 दिन आगे खिसका दी गई थी. पहले कपाट 30 अप्रैल को खोले जाने थे. उत्तराखंड के अन्य तीन धाम पहले ही खोले जा चुके हैं. उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री और यमुनोत्री धामों के कपाट अक्षय तृतीया के दिन खोले गए थे, वहीं रूद्रप्रयाग जिले में भोले बाबा के धाम केदारनाथ के कपाट 29 अप्रैल को खोले गए थे.
कोरोनावायरस महामारी के कारण इस वर्ष चार धाम यात्रा से अभी श्रद्धालुओं को दूर रखा गया है और केवल कपाट खोले गए हैं.
प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने पर देश-विदेश के श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दीं और कामना की कि भगवान बद्रीविशाल विश्व को कोरोनावायरस मुक्त करेंगे.
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम् बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा.हरीश गौड़ ने बताया कि लॉकडाउन के मद्देनजर सामाजिक दूरी सहित सभी प्रकार की सरकारी परामर्शों का पूरा पालन किया गया.
इनपुट: भाषा
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