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This Article is From May 23, 2014

नरेंद्र मोदी ने मंत्रिमंडल गठन को लेकर राजनाथ, जेटली, अमित शाह और नितिन गडकरी से मुलाकात की

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

26 मई को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले नरेंद्र मोदी अब दिल्ली में हैं। इसी बीच मंत्रिमंडल के गठन की कवायद तेज हो गई है। नरेंद्र मोदी ने सरकार के गठन के संबंध में राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, अमित शाह और नितिन गडकरी समेत वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। इससे पहले गुरुवार को राजनाथ सिंह के घर पर पार्टी महासचिवों की बैठक हुई, जिसके बाद राजनाथ मोदी से भी मिलने पहुंचे थे।

खबर है कि पार्टी में वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज जैसे नेताओं के मंत्रालय को लेकर पशोपेश की स्थिति है, जिनके मोदी के साथ बहुत मधुर संबंध नहीं माने जाते। वहीं वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के भविष्य को लेकर भी रहस्य कायम है।

वैसे, नरेंद्र मोदी दिल्ली के गुजरात भवन में ठहरे हुए हैं, जिसकी वजह से 26 मई तक गुजरात भवन राजनीतिक गहमागहमी का केंद्र बना रहेगा।  मोदी के साथ उनका रसोइया बद्री भी दिल्ली आया है। बद्री पिछले 12 सालों से मोदी के साथ है। मोदी के तीनों पीए ओपी सिंह, दिनेश सिंह और तन्मय भी उनके साथ ही रहेंगे।

एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक, इस बार मंत्रालयों के आकार और जिम्मेदारियां भी बदलने वाली हैं। कई मंत्रालयों को आपस में जोड़ दिया जाएगा।

मिसाल के तौर पर गृह मंत्रालय से आंतरिक सुरक्षा का हिस्सा हटाया जा सकता है। आंतरिक सुरक्षा को प्रधानमंत्री दफ्तर से जोड़ा जा सकता है। इसके लिए कोई राज्यमंत्री हो सकता है, जो सीधे पीएमओ को रिपोर्ट करे। आईबी, एनआईए जैसी संस्थाओं को प्रधानमंत्री दफ्तर के अधीन किया जा सकता है। ओवरसीज मंत्रालय जैसे महकमे खत्म किए जा सकते हैं। शिपिंग और सड़क परिवहन को मिलाकर एक मंत्रालय किया जा सकता है। पेट्रोलियम, कोयला, पारंपरिक और गैर-पारंपरिक ऊर्जा, इन सबको एक विभाग के तहत लाया जा सकता है।

ग्रामीण विकास और पंचायती राज को जोड़ा जा सकता है और पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय खत्म भी किए जा सकते हैं, लेकिन मंत्रालयों का चेहरा बदलने के साथ नेताओं की प्राथमिकताएं भी बदलती दिख रही हैं। मसलन, राजनाथ बंटा हुआ गृह मंत्रालय लेने के इच्छुक नहीं हैं। ऐसी हालत में यह मंत्रालय अरुण शौरी को जा सकता है। राजनाथ रक्षा मंत्री बन सकते हैं और अरुण जेटली वित्त या विदेश मंत्रालय संभाल सकते हैं। यह साफ है कि इस कवायद में सुषमा स्वराज कुछ पीछे छूटी रह सकती हैं। उन्हें चार आला मंत्रालयों से बाहर रखा जाएगा।

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