
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने आज साफ कर दिया कि उनकी पार्टी महाराष्ट्र में सरकार गठन में भाजपा को बिना मांगे समर्थन नहीं देगी। उन्होंने कहा, 'पहले उन्हें कदम उठाने दें।'
उद्धव ने संवाददाताओं से कहा, 'मैं अपने घर पर शांति से बैठा हुआ हूं। अगर कोई सोचता है कि हमारे समर्थन की जरूरत है तो वे हमसे संपर्क कर सकते हैं। उनकी (भाजपा की) तरफ से प्रस्ताव के साथ किसी को हमारे पास आना चाहिए। मैं अपने समर्थन की पेशकश करने कैसे जा सकता हूं।'
विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश देखने को मिला है और राकांपा के आश्चर्यजनक समर्थन से भाजपा अपनी सरकार बनाने को तैयार है।
उन्होंने कहा, 'अगर मैं उनसे संपर्क करता हूं और वे ना कहते हैं और मुझसे कहते हैं कि हमारे पास पहले ही राकांपा का समर्थन है तो क्या होगा।' उद्धव ने कहा कि अगर भाजपा राकांपा के समर्थन पर राजी है तो 'उन्हें राकांपा के साथ जाने दें।'
शिवसेना के साथ फिर से गठबंधन करने की भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की टिप्पणी पर उन्होंने कहा, 'इसकी ही मैंने अपेक्षा की थी। जब बाला साहब (शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे), अटल बिहारी वाजपेयी, आडवाणी, प्रमोद महाजन और गोपीनाथ मुंडे थे, तो हमारा सिर्फ राजनैतिक गठबंधन नहीं था बल्कि करीबी संबंध था।'
उद्धव ने कहा, 'हमने 60 सीटें हासिल की हैं जो खराब प्रदर्शन नहीं है।' उन्होंने कहा, 'मुझे कोई घेर नहीं सकता।'
उद्धव ने शिवसेना के पूर्व नेता नारायण राणे और गणेश नाइक के हारने का जिक्र करते हुए कहा, 'हमने उन लोगों को हराया जिन्होंने दिवंगत बाल ठाकरे को व्यथा पहुंचाई थी।'
उन्होंने विदर्भ राज्य के गठन का मुद्दा भी उठाया। इस मुद्दे का भाजपा ने समर्थन किया था और शिवसेना ने पुरजोर विरोध किया है। उन्होंने कहा, 'अगर हमें आश्वासन मिलता है कि महाराष्ट्र अखंड रहेगा तो हम समर्थन करने को तैयार हैं।'
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