एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि लोकसभा चुनाव 2014 में वाराणसी संसदीय क्षेत्र से पार्टी एक ऐसा नाम उतारेगी, जो चौंकाने वाला होगा... जब पत्रकारों ने पूछा कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ ऐसा मजबूत उम्मीदवार कौन होगा, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने मज़ाकिया लहज़े में कहा, "वह मजबूत हो या कमज़ोर, चौंकेंगे तो आप दोनों ही हालत में न..."
बेशक यह बात मज़ाक में कही गई थी, लेकिन वाराणसी सीट पर उम्मीदवारी को लेकर कांग्रेस के भीतर चल रही माथापच्ची को साफ बयान करती है... ब्राह्मण हो, स्थानीय हो, बड़ा नाम हो... कई मापदंडों के तहत अलग-अलग नामों पर विचार चल रहा है, और दिग्विजय सिंह का नाम इस दौड़ में वाइल्डकार्ड एन्ट्री जैसा है... हालांकि उत्तर प्रदेश से जुड़े एक बड़े नेता दिग्विजय सिंह और प्रमोद तिवारी की उम्मीदवारी की संभावना को खारिज कर रहे हैं, लेकिन जो दिग्विजय सिंह के नाम को लेकर उत्साहित हैं, वे इसके पक्ष में कई दलीलें दे रहे हैं...
सबसे पहली दलील यह है कि दिग्विजय सिंह कांग्रेस का एक बड़ा चेहरा हैं... वह नरेंद्र मोदी के खिलाफ जमकर बोलते रहे हैं... चाहे टीवी पर हों या सोशल मीडिया पर, उन्होने मोदी को हर मौके पर घेरने की कोशिश की है... दिग्विजय सिंह को लोकसभा चुनाव 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ उतारने से आम जनता में यह संदेश तो जाएगा ही कि मोदी को रोकने के लिए कांग्रेस इतनी गंभीर है कि उसने अपने सबसे बड़े नेताओं में से एक को दांव पर लगा दिया, और यह संदेश भी जाएगा कि कांग्रेस किसी भी सूरत में मोदी को फ्री वॉक नहीं देना चाहती...
व्यक्तिगत तौर पर दिग्विजय सिंह के लिहाज़ से देखें तो अपना नाम आगे करना उन्हें भी सूट करता है... हाल ही में जब मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए उनका नाम आया तो माना गया कि लोकसभा चुनाव में हार के डर उन्होंने राज्यसभा का सुरक्षित रास्ता ले लिया है... राज्यसभा में वह चुने जा चुके हैं, और यदि अब वह लोकसभा चुनाव लड़ते हैं तो यह संदेश जाएगा कि वह राज्यसभा की सीट से चिपक नहीं रहे हैं... इसीलिए, जब एनडीटीवी इंडिया ने बुधवार को दिग्विजय सिंह से एसएमएस के जरिये पूछा कि क्या वह नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने जा रहे हैं, उन्होंने जवाब दिया, "बिल्कुल, अगर मेरी पार्टी मुझे ऐसा करने को कहती है तो क्यों नहीं..."
वैसे, दिग्विजय सिंह वाराणसी लगातार आते-जाते भी रहे हैं, और माना जाता है कि वहां उनकी नेटवर्किंग भी अच्छी है... लेकिन ऐसा भी नहीं है कि सब कुछ उनकी उम्मीदवारी के पक्ष में ही हो... दिग्विजय सिंह कांग्रेस पार्टी के चाणक्य माने जाते हैं, और कांग्रेस की चुनावी रणनीति तय करने में उनकी अहम भूमिका होती है... वह कांग्रेस वार-रूम के सक्रिय सदस्य हैं... ऐसे में अगर वह लोकसभा चुनाव लड़ते हैं, वह भी मोदी के खिलाफ, तो उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा वक्त देना होगा, जिससे पार्टी की चुनावी रणनीति के लिए उन्हें ज़्यादा वक्त नहीं मिल पाएगा, इसलिए उनके नाम पर किसी फैसले से पहले पार्टी को काफी सोचना पड़ेगा...
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