नई दिल्ली:
दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल ने अपने डॉक्टरों को बचाने के लिए आयरन मैन को रखा है. आखिर क्यों डॉक्टरों के जान के लाले पड़े हैं? इसके चलते अस्पताल के स्टाफ को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग तक लेनी पड़ रही है. दिल्ली के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में 15 मार्च को सुरक्षाकर्मी की तीमारदारों ने खासी पिटाई की. दिल्ली पुलिस का जवान जब तक बचाने आता तब तक सुरक्षाकर्मी को तीमारदार पीट चुके थे. ये हाल उस सुरक्षाकर्मी का है जिसके कंधे पर डॉक्टरों को बचाने की जिम्मेदारी है.
रेणु सक्सेना (MS, इंमरजेंसी LNJP) बताती हैं कि 26 मार्च को तीमारदारों ने डॉक्टर को इतना मारा कि हाथ टूट गया. 30 तारीख को नर्स को मारा, नाक में फ्रेक्चर आ गया. इसी के चलते अब लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल ने आयरनमैन नाम से बाउंसरों को लगाया है.
छह फीट लंबे ये बाउंसर मार्शल आर्ट से लेकर कुश्ती तक में ट्रेंड हैं. इन्हीं आयरन मैन के साए में आजकल एलएनजेपी के डॉक्टर अस्पताल में रहते हैं. आयरन मैन की तैनाती से फिलहाल अस्पताल में शांति बनी हुई है. तीमारदारों की हिंसा से निपटने के लिए अस्पताल ने सिर्फ आयरन मैन बाउंसरों को ही नहीं लगाया बल्कि अपने स्टाफ को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग भी दी है.
आंकड़े बताते हैं कि बीते चार महीने में चार बार हड़ताल हो चुकी है. 6 अप्रैल को ट्रॉमा सेंटर में जूनियर डाक्टरों की पिटाई, 28 मार्च को इंमरजेंसी में नर्सों की पिटाई, 25 जनवरी को मेडिकल स्टाफ पर हमला. दरअसल मारपीट के पीछे डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ और सुविधाओं की कमी भी एक कारण है. एलएनजेपी अस्पताल के आपातकालीन सेवा में रोजाना हजार मरीज आते हैं जबकि डॉक्टर केवल आठ से दस होते हैं.
रेणु सक्सेना (MS, इंमरजेंसी LNJP) बताती हैं कि 26 मार्च को तीमारदारों ने डॉक्टर को इतना मारा कि हाथ टूट गया. 30 तारीख को नर्स को मारा, नाक में फ्रेक्चर आ गया. इसी के चलते अब लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल ने आयरनमैन नाम से बाउंसरों को लगाया है.
छह फीट लंबे ये बाउंसर मार्शल आर्ट से लेकर कुश्ती तक में ट्रेंड हैं. इन्हीं आयरन मैन के साए में आजकल एलएनजेपी के डॉक्टर अस्पताल में रहते हैं. आयरन मैन की तैनाती से फिलहाल अस्पताल में शांति बनी हुई है. तीमारदारों की हिंसा से निपटने के लिए अस्पताल ने सिर्फ आयरन मैन बाउंसरों को ही नहीं लगाया बल्कि अपने स्टाफ को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग भी दी है.
आंकड़े बताते हैं कि बीते चार महीने में चार बार हड़ताल हो चुकी है. 6 अप्रैल को ट्रॉमा सेंटर में जूनियर डाक्टरों की पिटाई, 28 मार्च को इंमरजेंसी में नर्सों की पिटाई, 25 जनवरी को मेडिकल स्टाफ पर हमला. दरअसल मारपीट के पीछे डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ और सुविधाओं की कमी भी एक कारण है. एलएनजेपी अस्पताल के आपातकालीन सेवा में रोजाना हजार मरीज आते हैं जबकि डॉक्टर केवल आठ से दस होते हैं.
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