नई दिल्ली:
ऑड ईवन-2 के समय से एप आधारित टैक्सियों द्वारा ज्यादा कीमत (सर्ज प्राइसिंग) वसूलने का मुद्दा उठा और दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने इन कंपनियों को चेतावनी देते हुए कहा कि 'सर्ज प्राइसिंग' के नाम पर एप बेस टैक्सी कंपनियों की मनमानी बर्दाश्त नहीं की जायेगी। रविवार 1 मई को केजरीवाल ने फिर ट्वीट कर कहा कि कुछ टैक्सियां फिर सर्ज प्राइस वसूल रही हैं जो गैर कानूनी है और उनपर कार्रवाई की जायेगी। आइये समझे कि आखिर इसका कानूनी पहलू क्या है -
दरअसल ओला और उबर जैसी एप बेस टैक्सी कंपनियों के पास टैक्सी चलाने का कोई लाइसेंस नहीं है क्योंकि अभी तक दिल्ली सरकार के पास इनके लिए कोई पॉलिसी नहीं है। अब क्योंकि जब यह कंपनियां ही सरकार के पास रजिस्टर्ड नहीं हैं तो सरकार इनके ऊपर कोई कार्रवाई कैसे कर सकती है? यानी कानूनी रूप से 'सर्ज प्राइसिंग' पर दिल्ली सरकार कंपनियों पर कार्रवाई नहीं कर सकती।
सुप्रीम कोर्ट की तय नीति
दिल्ली सरकार इस मुद्दे को केवल तभी काबू में ला सकती है जब टैक्सी वाला ग्राहक से सरकार की तरफ से अधिकतम 'तय रेट' से ज़्यादा किराया वसूले। यानी कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकती केवल 'केस टू केस' के आधार पर कार्रवाई की जा सकती है। एप बेस टैक्सी के लिए केवल दो शर्तें या पॉलिसी के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने बात करी है - पहला तो वे केवल सीएनजी पर चलेंगी और दूसरा दिल्ली सरकार जो रेट तय करे उसके हिसाब से ही चार्ज किया जाएगा।
दिल्ली के परिवहन मंत्री गोपाल राय ने कहा कि "कोई भी कंपनी अगर सर्ज प्राइसिंग चार्ज करेगी तो कार्रवाई होगी। ओला-उबर जैसी कंपनियों के पास टैक्सी एग्रीगेटर का लायसेंस नहीं है। दिल्ली सरकार इसको ध्यान में रखकर पॉलिसी बना रही है जिसकी जल्द घोषणा होगी लेकिन सर्ज प्राइस या निर्धारित किराए से ज़्यादा लेने पर कार्रवाई होगी।'
दरअसल ओला और उबर जैसी एप बेस टैक्सी कंपनियों के पास टैक्सी चलाने का कोई लाइसेंस नहीं है क्योंकि अभी तक दिल्ली सरकार के पास इनके लिए कोई पॉलिसी नहीं है। अब क्योंकि जब यह कंपनियां ही सरकार के पास रजिस्टर्ड नहीं हैं तो सरकार इनके ऊपर कोई कार्रवाई कैसे कर सकती है? यानी कानूनी रूप से 'सर्ज प्राइसिंग' पर दिल्ली सरकार कंपनियों पर कार्रवाई नहीं कर सकती।
सुप्रीम कोर्ट की तय नीति
दिल्ली सरकार इस मुद्दे को केवल तभी काबू में ला सकती है जब टैक्सी वाला ग्राहक से सरकार की तरफ से अधिकतम 'तय रेट' से ज़्यादा किराया वसूले। यानी कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकती केवल 'केस टू केस' के आधार पर कार्रवाई की जा सकती है। एप बेस टैक्सी के लिए केवल दो शर्तें या पॉलिसी के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने बात करी है - पहला तो वे केवल सीएनजी पर चलेंगी और दूसरा दिल्ली सरकार जो रेट तय करे उसके हिसाब से ही चार्ज किया जाएगा।
दिल्ली के परिवहन मंत्री गोपाल राय ने कहा कि "कोई भी कंपनी अगर सर्ज प्राइसिंग चार्ज करेगी तो कार्रवाई होगी। ओला-उबर जैसी कंपनियों के पास टैक्सी एग्रीगेटर का लायसेंस नहीं है। दिल्ली सरकार इसको ध्यान में रखकर पॉलिसी बना रही है जिसकी जल्द घोषणा होगी लेकिन सर्ज प्राइस या निर्धारित किराए से ज़्यादा लेने पर कार्रवाई होगी।'
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
एप बेस्ड टैक्सी, ओला टैक्सी, उबर ऐप, सर्ज प्राइसिंग, तय रेट से ज्यादा वसूली, अरविंद केजरीवाल, दिल्ली सरकार, App Based Taxi, Ola Taxi, Uber Taxi, Surge Pricing