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This Article is From Apr 25, 2016

दिल्ली : मोबाइल ऐप से सुधरेगी सरकारी स्कूलों की दशा, 11 बजे तक शिक्षा मंत्री के पास पहुंचेगी रिपोर्ट

दिल्ली : मोबाइल ऐप से सुधरेगी सरकारी स्कूलों की दशा, 11 बजे तक शिक्षा मंत्री के पास पहुंचेगी रिपोर्ट
देश में एक तरह से दो तरह की शिक्षा प्रणाली चल रही हैं : केजरीवाल
नई दिल्ली:

सरकारी स्कूलों में साफ-सफाई, मेंटेनेंस इत्यादि के लिए एस्टेट मैनेजर्स की नियुक्ति के बाद सोमवार को दिल्ली सरकार ने एक मोबाइल ऐप लॉन्च कर दिया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने त्यागराज स्टेडियम में सभी सरकारी स्कूलों के प्रधानाचार्यों और सभी एस्टेट मैनेजर्स की मौजूदगी में ये ऐप लॉन्च किया।

एस्टेट मैनेजर्स इसी मोबाइल ऐप पर रोज सुबह 8.15 बजे स्कूल में साफ-सफाई, सिक्योरिटी, पीने के पानी, क्लासरूम्स में ट्यूबलाइट्स, पंखे इत्यादि की स्थिति की रिपोर्ट भेजेंगे। एस्टेट मैनेजर्स को मोबाइल ऐप पर फोटोग्राफ्स और वीडियो भी अपलोड करना होगा। इनसे जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए 9 बजे प्रधानाचार्य/स्कूल प्रमुख को जरूरी एक्शन लेना होगा और इसकी रिपोर्ट मोबाइल ऐप पर ही करनी होगी। इसके बाद 10.30 बजे डीडीई (जोन), डीडीई (डिस्ट्रिक्ट) को इन समस्याओं के समाधान के लिए जरूरी एक्शन लेना होगा और उसकी रिपोर्ट मोबाइल ऐप पर ही अपलोड करनी होगी।

रोजाना 11 बजे तक दिल्ली के सभी सरकारी स्कूलों की स्टेटस रिपोर्ट शिक्षा निदेशक और उप-मुख्यमंत्री के मोबाइल पर होगी। तीन महीने बाद ये मोबाइल ऐप पब्लिक के लिए भी उपलब्ध हो जाएगा। वे भी देख सकेंगे कि किस स्कूल में साफ-सफाई और सुविधाओं की क्या स्थिति है।

मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मोबाइल ऐप को बनाने वाली कंपनी 'माइंड ट्री' का शुक्रिया अदा किया, जिसने बिना पैसे लिए ये ऐप तैयार किया।

'देश में दो तरह की शिक्षा प्रणाली'
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे देश में एक तरह से दो तरह की शिक्षा प्रणाली चल रही हैं। जिसके पास भी थोड़ा सा पैसा है वो अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजता है और जिसके पास पैसा नहीं है वो सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को भेजता है। और जब गरीबों के लिए सरकारी स्कूल हैं, तो उनका कोई माई-बाप नहीं था। दूसरी समस्या ये भी थी कि सरकारी स्कूलों को जानबूझकर धीरे-धीरे सिस्टमैटिक तरीके से खत्म किया जा रहा था। क्योंकि कई ऐसे नेता हैं, सभी पार्टियों में, जिनके अपने प्राइवेट स्कूल हैं। वो नहीं चाहते थे कि सरकारी स्कूल अच्छे बनें, क्योंकि सरकारी स्कूल अच्छे बन गए तो उनके स्कूलों में कौन जाएगा?

उन्होंने ये भी कहा कि सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों से बेहतर बनाने का सपना था हमारा। लेकिन मन में कई बार आता था कि चैलेंज बहुत बड़ा है। सरकारी स्कूलों की हालत देखकर लगता था कि कर पाएंगे या नहीं। लेकिन आज यहां आने के बाद, आप लोगों से मिलने के बाद, आप सबका जज्बा देखने के बाद, उप-मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री का भाषण सुनने के बाद मुझे विश्वास हो गया है कि साल-दो साल में हम अपना सपना दिल्ली में पूरा कर ले जाएंगे।

अब पढ़ाई करा पाएंगे टीचर्स
इस मौके पर दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सरकार बनने के बाद जब मैं स्कूलों में जाता था तो प्रधानाचार्यों और शिक्षकों का कहना होता था कि अगर एक ट्यूबलाइट भी खराब हो जाए तो उसे ठीक कराने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है। हमारा ज्यादातर टाइम इसी काम में निकल जाता है, हम बच्चों की पढ़ाई पर कैसे फोकस करें?

इस समस्या के समाधान के लिए हमने हर स्कूल को एक-एक एस्टेट मैनेजर दे दिया है, जिनकी नियुक्ति और हटाने का अधिकार प्रधानाचार्यों के पास है।

मनीष सिसोदिया ने कहा कि बतौर शिक्षा मंत्री मैं देखना चाहता हूं कि कितने स्कूल के कितने क्लासरूम में ट्यूबलाइट्स खराब हैं, कितने स्कूलों में पीने का साफ पानी नहीं आ रहा है। इस मोबाइल ऐप से मुझे ये भी जानकारी मिल सकेगी कि इन समस्याओं को लेकर कहां-कहां एक्शन नहीं हो रहा है। मान लीजिए अगर दिल्ली जल बोर्ड, पीडब्ल्यूडी इत्यादि किसी समस्या पर एक्शन लेने में देरी करेंगे तो उन पर हम एक्शन ले सकेंगे।

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