फाइल फोटो
नई दिल्ली:
पब्लिक सर्विस व्हीकल यानी ऑटो, टैक्सी, ग्रामीण सेवा आदि का जीपीएस अगर बंद पड़ा है तो परमिट कैंसिल हो सकता है. परिवहन विभाग कंट्रोल रूम से स्पीड की भी निगरानी रखने वाला है और वाहनों के लोकेशन का भी. साथ ही, आपकी गाड़ी का अगर पॉल्यूशन कंट्रोल सर्टिफिकेट नहीं है, तो चालान भी आपके दरवाजे पर पहुंचेगा. फिलहाल इस महीने के आखिर तक इन्हें मोहलत दी जा रही है. उसके बाद गाड़ियों में जीपीएस काम कर रहा है या नहीं, इसकी निगरानी 24 घंटे एक कंट्रोल रूम से होगी, जो लोकेशन भी बताएगा और रफ्तार भी. दिल्ली परिवहन विभाग के स्पेशल कमिश्नर केके दहिया ने एनडीटीवी से कहा कि जीपीएस को लेकर हमारा इस साल से जीरो टॉलरेंस है. अगर जीपीएस बंद पड़ा है तो हम पहले नोटिस देंगे और फिर परमिट कैंसिल करेंगे. पब्लिक और महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से बंद जीपीएस वाली गाड़ियों के मालिकों को अगले हफ्ते से नोटिस मिलने शुरू हो जाएंगे.
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इस सिस्टम से मौजूदा डेढ़ से दो लाख पब्लिक सर्विस व्हीकल को जोड़ने की कोशिश है, जिसमें करीब 90 हजार ऑटो, 40 हजार टैक्सी, 12 हजार कांट्रैक्ट कैरेज बसें, 6 हजार ग्रामीण सेवा, 5 हजार स्कूल कैब, 2840 क्लस्टर बसें और 300 फटफट सेवा शामिल हैं. किसी मुश्किल में फंसे मुसाफिर के कंट्रोल रूम में सूचना देने पर मदद के लिए जगह-जगह 60 टीमें भी तैनात रहेंगी, कंट्रोल रूम से इन पर भी नजर रखी जाएगी. इतना ही नहीं योजना है कि बिना पॉल्यूशन कंट्रोल सर्टिफिकेट के सड़कों पर दौड़ती गाड़ियों का चालान भी इसी कंट्रोल रूम से ही भेज दिया जाए.
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केके दहिया ने बताया कि अप्रैल महीने से इस कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा.
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केके दहिया ने बताया कि अप्रैल महीने से इस कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा.
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