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This Article is From Jun 11, 2018

जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में दुर्लभ क़ुरानों और अनूठी खुशखती की प्रदर्शनी

जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में दुर्लभ क़ुरानों और उसकी विभिन्न प्रकार की खुशखती (कलिग्रफी) की प्रदर्शनी आज शुरू हुई.

जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में दुर्लभ क़ुरानों और अनूठी खुशखती की प्रदर्शनी
जामिया मिल्लिया में दुर्लभ क़ुरानों और उसकी विभिन्न प्रकार की खुशखती (कलिग्रफी) की प्रदर्शनी.
नई दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में दुर्लभ क़ुरानों और उसकी विभिन्न प्रकार की खुशखती (कलिग्रफी) की प्रदर्शनी आज शुरू हुई. उल्लेखनीय है कि क़ुरान रमजान के पवित्र महीने में खुदा की तरफ से पैगंबर पर नाजिल हुआ था. इस प्रदर्शनी का ईरान कल्चर हाउस और जामिया मिल्लिया की डॉक्टर जाकिर हुसैन लाइब्रेरी ने संयुक्त रूप से आयोजन किया. प्रदर्शनी 15 जून तक चलेगी. प्रदर्शनी का उद्घाटन भारत में ईरान के राजदूत मसूद रिज़वानियान ने किया.

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प्रदर्शनी का मक़सद क़ुरान के महत्व के साथ इसकी लेखनी के हजारों तरह के खुशखती (कलिग्रफी ) के नमूनों से लोगों को परिचित कराना है. डॉक्टर जाकिर हुसैन लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन डॉक्टर हसन जमाल आबिदी ने बताया कि जामिया के इस पुस्तकालय में 500 साल तक के हाथ से लिखें कुरान की प्रतियां है. प्रदर्शनी में सातवीं से 14वीं सदी तक की खुशखती (कलिग्रफी ) के तरह-तरह के नमूने पेश किए गए हैं. देश के विभिन्न हिस्सों के मशहूर खुशखती (कलिग्रफी ) ख़त्तात आये हैं और वह प्रदर्शनी में इस कला का जीवंत प्रदर्शन कर रहे हैं.
 
jammia millia

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जामिया मिल्लिया के वाइस चांसलर प्रोफेसर तलत अहमद ने इस प्रदर्शनी की अहमियत को बताते हुए कहा कि इस के जरिए विश्व की एक बेहतरीन कला खुशखती (कलिग्रफी) के हजारों आयामों से छात्रों और आम लोगों को रूबरू होने का मौका मिलता है. उन्होंने कहा जामिया मिल्लिया को गर्व है कि उसके पास 500 साल तक के हस्तलिखित क़ुरानो का संग्रहण है.  उन्होंने कहा कि संस्कृति और कला के संरक्षण में जेएमआई की हमेशा से दिलचस्पी रही है.
 
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इसी क्रम में जामिया मिल्लिया ने प्रेमचंद आर्काइव खोला है और मुंशी प्रेमचंद सहित भारतीय लेखकों की दुर्लभ कृतियों का संरक्षण किया है. प्रदर्शनी में बड़ी संख्या में छात्र अध्यापक कर्मचारी और मीडिया के लोग उपस्थित थे.

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